जयपुर। फ्रांस के नीस शहर पर आतंकवादी हमले की मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया यानी एमएसओ ने निंदा की है। यहाँ पहाड़गंज स्थित प्रदेश कार्यालय में एमएसओ के एक आपात बैठक में हमले की निंदा की गई और जिम्मेदार लोगों की जल्द गिरफ्तारी करने की माँग को दोहराया गया।
एमएसओ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ख़ालिद अयूब मिस्बाही ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहाकि फ्रांस यूरोप का दिल ही नहीं बल्कि वह सबसे बड़ा खुला हुआ लोकतंत्र है। जहाँ बेल्जियम में इस्लाम को लेकर पूर्वाग्रह मिलता है और कई तरह के प्रतिबंध हैंए वहीं दूसरी तरफ फ्रांस मानता है कि दुनिया के हर विचार के लिए फ्रांस में जगह है लेकिन आतंकवादी और असामाजिक तत्व इस का दुरुपयोग कर रहे हैं। मिस्बाही ने कहाकि हमले के एकदम बाद फ्रांस के राष्ट्रपति औलांद ने हमले के लिए इस्लाम को जिम्मेदार माना जबकि उन्हें यह कहना चाहिए जो भी मुस्लिम आतंकवादी आतंकवाद में लिप्त पाया जाता है वह मुस्लिम नहींए वहाबी होता है। मिस्बाही ने औलांद को मश्विरा दिया कि सिर्फ फ्रांस ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप के सामने यह चुनौती है कि वह इस्लाम के नाम पर फोबिया बनाने की बजाय वहाबीवाद की समझ का विस्तार करें ताकि वह जान सकें कि इस्लाम की नकल पर तैयार की गई एक ख़तरनाक विचारधारा को सऊदी अरब, इजराइल, अमेरिका, क़तर, बहरीन, कुवैत और हथियार लॉबी प्रश्रय दे रहे हैं। मिस्बाही ने कहाकि इस्लाम में ही ख़राबी होती तो दूसरे विश्व युद्ध तक अफ्रीका के बेशुमार मुसलमानों ने कभी फ्रांस को नुक़सान क्यों नहीं पहुँचाया। क्यों यह समस्या फ्रांस, यूरोप ही नहीं बल्कि इस्लामी देशों और दक्षिण एशिया के लिए भी मुसीबत बन गई। मिस्बाही ने कहाकि फ्रांस को चाहिए कि वह वहाबिज्म पर तुरंत प्रतिबंध लगाए और मुस्लिम कल्याणकारी कार्यक्रम और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए सूफी लोगों और सूफी इस्लाम को प्रश्रय दे। मिस्बाही ने कहाकि यदि फ्रांस सरकार चाहे तो वह उन्हें वहाबिज्म को समझने और सूफीवाद को संस्थानिक करने के उद्देश्य में मदद दे सकते हैं।
यहाँ जमा क़रीब 50 विद्यार्थियों ने बाद में मिस्बाही से यूरोप में इस्लाम और सऊदी अरब से प्रायोजित आतंकवाद को लेकर कई सवाल पूछे और उन्होंने इसके संतोषजनक उत्तर दिए। आपको बता दें कि मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन भारत के मुस्लिम विद्यार्थियों का क़रीब चार दशक पुराना संगठन है जिसकी सदस्य क्षमता 10 लाख विद्यार्थी है। यह संगठन भारत में युवाओं को कट्टरता के मार्ग पर जाने से रोकने के लिए हुआ था और अब तक संगठन ने क़रीब 10 हजार युवाओं को कट्टरता के भटकाव में जाने से रोककर उन्हें मुख्यधारा में लाने का कार्य किया है। इस संवाददाता ने जब मिस्बाही से उनके इस कार्यक्रम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहाकि इस्लाम का सच्चा रूप सूफीवाद है। हम बच्चों को सिर्फ भूराजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर ही नहीं बल्कि इस्लाम की समझ के आधार पर भी इस्लाम और वहाबीवाद को समझने में मदद करते हैं।