अंकारा: तुर्की में तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद राष्ट्रपति एर्दोगन की सरकार ने देश में गुलेन समर्थकों पर कार्रवाई शुरू की दी है। इसी कड़ी में 2700 से अधिक जजों को हटा दिया है। बता दें कि एर्दोगन मानते हैं कि सेना में धार्मिक नेता फतुल्ला गुलेन के बड़े पैमाने पर समर्थक हैं और वे उनकी राह में रोड़े अटका रहे हैं।
एनटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायधीश -अभियोजक उच्च परिषद (एचएसवाईके) ने शनिवार को हुई बैठक में 2,745 जजों को तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से हटाने का आदेश दिया। इसके अलावा स्वयं एचएसवाई के पांच सदस्यों को भी उनके पद से हटा दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि एर्दोगन 2013 से ही न्यायपालिका से खफा हैं। अदालत ने उनके बेटे और सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था। वहीं एर्दोगन का मानना है कि न्यायपालिक में मौजूद गुलेन समर्थक जानबूझकर कर उन्हें निशाना बना रहे हैं।
तुर्की के डोगन न्यूज के मुताबिक तुर्की सेना के दो कैप्टन सहित सात तुर्की सैनिकों ने यूनान से शरण मांगी हैं। ये सातों तख्तापलट में शामिल थे और तुर्की सेना के हेलीकाप्टर से यूनान पहुंचे थे। यूनान के रक्षामंत्रालय ने कहा कि ब्लैक हाॠक हेलीकाॠप्टर सात तुर्की सैनिकों और एक नागरिक को लेकर शनिवार सुबह एक्लेक्जेंडापोलिस उतरा। उन्होंने शरण की मांग की है। यूनान ने अवैध तरीके से घुसने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। वहीं तुर्की ने उन्हें वापस भेजने की मांग की है।
अमेरिकी विदेशमंत्री जान केरी ने तुर्की में नाकाम तख्तापलट में कथित रूप से फतुल्ला गुलेन का हाथ होने के मामले में अंकारा से सबूत मांगे हैं। केरी ने कहा कि अमेरिका मामले की जांच में तुर्की का सहयोग करने को तैयार है। अगर उसके पास पेंसिल्वेनिया में रह रहे गुलेन के खिलाफ सबूत हैं, तो अमेरिकी प्रशासन को दें। केरी ने साफ किया कि तुर्की ने अब तक गुलेन को प्रत्यर्पित करने के लिए औपचारिक रूप से अनुरोध नहीं किया है।