श्रेणियाँ: मनोरंजन

आर. डी. बर्मन में गजब का सेंस आॅफ ह्यूमर थाः जावेद अख्तर

वो जमाना करे दीवाना के अपने सूत्रवाक्य के साथ ज़ी क्लासिक हिन्दी सिनेमा के सुनहरे दौर की यादें ताजा करके दर्शकों को यादों की सुनहरी गलियों में ले जाता है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए जी क्लासिक चैनल पर उस सुनहरे दौर के संगीत (1950-1975) का जश्न मनाया जा रहा है। 26 हिस्सों की इस सीरीज का नाम है ‘द गोल्डन ईयर्स 1950-1975, ए म्यूजिकल जर्नी विथ जावेद अख्तर’। रविवार 10 जुलाई को रात आठ बजे, 1968 की संगीतमय यादों में खो जाइए और उस सुनहरे दौर के संगीत का जादू महसूस कीजिए।
1968 में अनेक सुपर हिट फिल्र्में आइं, जिसमें कुछ बेहतरीन परफॉर्मेंस के साथ-साथ दिल छू लेने वाले गीत भी थे। हालांकि उस साल मशहूर संगीतकार नौशाद की दोनों फिल्में असफल रहीं लेकिन उसी साल ओपी नैयर, आर डी बर्मन और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे संगीतकारों ने बेहतरीन संगीत पेश किया। शंकर-जयकिशन ने भी ब्रह्मचारी और झुक गया आसमान के रूप में बेहतरीन संगीत दिया। हालांकि इस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर थी पड़ोसन जिसका संगीत राहुल देव बर्मन ने तैयार किया था। उन्हें कुछ इस तरह से संगीत में महारत हासिल है जैसे किसी और को नहीं है।
जावेद अख्तर इस फिल्म को उस साल की अपनी पसंदीदा फिल्म बताते हुए कहते हैं, ‘‘पड़ोसन 1968 की बड़ी सफलता थी और यह फिल्म मेरे दिल के करीब है। ऐसी बहुत कम फिल्में हैं जिन्हें आप सुपर हिट कॉमेडी की श्रेणी में रखते हैं और पड़ोसन उनमें सबसे ऊपर है। इसमें सभी कलाकारों ने बेहतरीन काम किया। हालांकि यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि सिर्फ इस फिल्म के कॉमेडियन ही नहीं बल्कि आर डी बर्मन और पड़ोसन के गीतकार राजेन्द्र कृष्णन में भी गजब का सेंस आॅफ ह्यूमर था। इसमें आश्चर्य की बात नहीं कि उन्होंने फिल्म के लिए इतने शानदार गाने तैयार किए। मेरे सामने वाली खिड़की में ऐसा ही एक लोकप्रिय गीत है। लता मंगेशकर और आशा भोसले ने मिलकर इस फिल्म के लिए ‘मैं चली मैं चली देखो प्यार की गली’ गाया और क्या जुगलबंदी थी वो! पड़ोसन के संगीत का सबसे अच्छा पहलू यह था कि यह बड़ा ही बेफिक्र और सहज था। मुझे यकीन है ‘एक चतुर नार’ गाना कमरे में बैठकर अकेले में नहीं बनाया गया होगा। ये तो लगता है किसी महफिल में बैठकर बना था ये गाना, जहां सब का अपना एक योगदान था।’’
1968 ऐसी ही कुछ अच्छी फिल्मों का दौर रहा, जिसमें बेहतर संगीत था। इस साल ब्रह्मचारी, किस्मत, मेरे हमदम मेरे दोस्त, हसीना मान जाएगी और आंखें जैसे फिल्र्में आइं जो बॉक्स आॅफिस पर जबर्दस्त सफल रहीं। उस साल चक्के पे चक्का, आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे, ना जा कहीं अब ना जा, छलकाए जाम, बच्चे मन के सच्चे और उनसे मिली नजर जैसे गाने जबर्दस्त सफल रहे थे। जहां धर्मेन्द्र और शम्मी कपूर जैसे कलाकारों ने अपने जोश से दर्शकों का दिल जीत लिया था, वहीं अशोक कुमार की उत्कृष्ट परफॉर्मेंस के चलते उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
उस साल मोहम्मद रफी, मन्ना डे, लता मंगेशकर, किशोर कुमार और आशा भोसले संगीत जगत में छाए रहे और श्रोताओं के समक्ष प्यार, दर्द और इंतजार के अलग-अलग मूड के गाने पेश किए।

Share

हाल की खबर

राबर्ट्सगंज सीट पर भाजपा के विरुद्ध जनता लड़ रही है चुनाव

दुद्धी, सोनभद्र:देश की आर्थिक संप्रभुता को क्षति पहुंचाने, समाज के मैत्री भाव को नष्ट करने…

मई 16, 2024

बाराबंकी में राहुल गाँधी 18 मई को तनुज पुनिया के लिए मांगेंगे वोट

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी में सियासत कभी देवाँ में जो रब है वही राम…

मई 16, 2024

बाराबंकी में ऑक्सीजन फैक्ट्री में ब्लास्ट 1 कर्मचारी की मौत

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी । ऑक्सीजन प्लांट में ब्लास्ट हो गया। जिसमें की एक…

मई 13, 2024

राष्ट्रीय आय में मिले लोगों को हिस्सा- अखिलेन्द्र

भाजपा ने भारत गणराज्य की आर्थिक सम्प्रभुता को पहुंचाई क्षति, हारना जरूरीसमाज के मैत्रीभाव को…

मई 13, 2024

संविधान बदलने की बात करने वालों को बदलने जा रही है जनता: अखिलेश

बाराबंकी मे गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया के समर्थन में जनसभा का आयोजन। ब्यूरो चीफ फहीम…

मई 12, 2024

बहराइच में जेठ मेले का आगाज़ 30 मई से

02 जून को आएँगी ग़ाज़ी मियां की प्रतीकात्मक बारातें भारत नेपाल के सीमावर्ती जनपद उत्तरप्रदेश…

मई 12, 2024