आईआईएम अहमदाबाद के प्राॅफेसर धीरज शर्मा और प्राॅफेसर राजेश चंदवानी ने ‘‘हीट स्ट्रेस एण्ड इट्स इफेक्ट आॅन सायकलाॅजीकल आस्पेक्ट्स आॅफ वर्कर्स इन इण्डिया‘‘ विषय पर हाल ही में एक अध्ययन किया है, जिसमें कहा बताया गया है कि कार्यस्थल और उष्ण आराम(थर्मल कम्फर्ट) का सीधा सम्बन्ध है और इसका प्रभाव श्रमिकों की उत्पादकता पर भी पड़ता है। इस शोध में यह भी बताया गया कि नीति निर्मार्ताओं और सम्बद्ध संस्थानों के लिए आवश्यक रूप से जरूरी है कि वे मौसम परिवर्तन के दायरे का विस्तार करें तथा परिवेश के तापमान को श्रमिकों की चिंताओं में शामिल करते हुए तदनुसार वहां अनुकूल तापमान बनाए रखें।
गर्मी जनित तनाव विशेष रूप से बिगड़ते मौसम हालातों को देखते हुए काफी प्रासंगिक हो गया है। भारत जैसे उष्ण कटिबंधीय देश में अधिकांश श्रमिकों के स्वास्थ्य को खतरा संभव है साथ ही तापमान अधिक होने के कारण उनकी कार्यशीलता में कमी आ रही है नतीजतन उत्पादकता भी कम हो रही है। अध्ययन में बताया गया है कि गर्मी जनित तनाव से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य खतरा है अपितु इसका मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी विपरीत असर पड़ता है और इसलिए यह जरूरी है कि राज्य एवं केन्द सरकार, नीति निर्माता, कर्मचारी कल्याण निकाय तथा संस्थान इस ओर तत्काल ध्यान दें ताकि इस मसले का समाधान निकल सके। इस अध्ययन का दृष्टिकोण्ण इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्यों कि भारत सरकार का जोन निर्माण क्षेत्र पर अधिक है और ‘मेक इन इण्डिया‘ जैसी पहल, अर्थव्यवस्था के स्थाई विकास के लिए शुरू की जा चुकी हैं।
इस अध्ययन में आईआईएम अहमदाबाद के प्राॅफेसर धीरज शर्मा का कथन है कि ‘‘कर्मचारियों और उत्पादकता पर इस बढ़ते तापमान के प्रभाव थोड़ा ध्यान दिया गया है। हमारे अध्ययन में हमने पाया कि कार्य स्थल पर यदि शीतलता समाधान स्थापित कर दिए जाएं तो उत्पादकता में और भी सुधार आ सकता है। निश्चित तौर पर हमारे अध्ययन, के अनुसार श्रमिक की उत्पादकता को 12 प्रतिशत तक और बढ़ाया जा सकता है यदि उनके कार्यस्थल पर तापमान का स्तर कम कर उन्हें शीतलता प्रदान की जाएं।‘‘