लखनऊ: सपा प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि आपातकाल आरोपित करने वाली मानसिकता आज भी विद्यमान है। महान समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में मधुलिमए, लोकबन्धु राजनारायण, जनेश्वर मिश्र एवं नेताजी मुलायम सिंह यादव सदृश समाजवादियों ने अग्रिम पंक्ति में आकर आपातकाल की तानाशाही से लड़ाई लड़ी और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की। आपातकाल के दौरान लोकतंत्र रक्षक सेनानियों और उनके परिवार ने असहनीय यातनायें झेली किन्तु वे झुके नहीं। शिवपाल ने कहा देश के बुद्धिजीवियों यहाँ तक कि लालकृष्ण आडवाणी जी आशंका निर्मूल नहीं है। लोकतंत्र व समाजवाद एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी वैश्विक नीति को आड़े हाथों लेते हुए शिवपाल ने कहा कि एन.एस.जी. में भारत की सदस्यता के प्रकरण पर भारत की वैश्विक राजनीति में काफी किरकिरी हुई है। इससे विदेशों में देश की छवि व साख घटी है। मोदी देश को बतायें कि दो सालों में भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता और हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए क्या प्रयास किए।
सपा सरकार ने लोकतंत्र के लिए लड़ने वालों को न केवल सेनानी की संज्ञा दी अपितु पंद्रह हजार रुपए सम्मान राशि देकर अभूतपूर्व कार्य किया है। यही कारण है कि अभी हाल में लोकतंत्र रक्षक कल्याण समिति ने अधिवेशन कर समाजवादी पार्टी को युवा समर्थन देने की घोषणा की है। मोदी व माया की मानसिक संरचना एक समान है। दोनों ने ताकत पाते ही लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर किया है। वैश्विक व सामरिक मोर्चे पर केन्द्र की विफलता की कीमत देश को चुकाना पड़ेगी। रक्षा क्षेत्र में शत्-प्रतिशत् प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) की अनुमति जल्दी में उठाया गलत कदम है। पूरे देश व मीडिया को भाजपा कैराना-बिसहड़ा हिन्दू-मुस्लिम जैसे अनावश्यक बहस में उलझा कर एफ.डी.आई. का निर्णय ले लिया। देश का सतत् व समावेशी विकास देशी पूँजी व प्रविधि से ही संभव है। मोदी जी लोहिया व गाँधी से प्रेरणा लेने की बात तो कहते हैं किन्तु उनकी नीतियाँ गाँधी-लोहिया के विपरीत है।