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मुख्यमंत्री बेटियों की सुरक्षा का भरोसा कब दे पायेंगे: विजय बहादुर पाठक

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि 2017 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी का दावा करते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने राज में बेटियों की सुरक्षा का भरोसा कब तक दे पायेंगे। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा राज्य की खराब होती कानून व्यवस्था और दरकते प्रशासनिक इकबाल के कारण राज्य में बेटियों की जान पर बन आयी है। बांदा समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगातार बेटियों के साथ छेड़छाड़ और इस छेड़छाड़ से क्षुब्ध होकर आत्महत्या तक के समाचार है, पर अखिलेश सरकार विकास के थोथे दावों में व्यस्त है।
मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा जौनपुर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा पर तंज कसते हुए दावे कर रहे है कि 2017 में पूर्ण बहुमत की सरकार वे ही बनायेंगे, किन्तु अखिलेश राज में बेटिया अपनी अस्मत न बचा पाने के कारण जान दे रही है, इससे बेपरवाह है। अपनी हर नाकामी के लिए दूसरों पर ठीकरा फोड़ने में अभ्यस्त अखिलेश यादव आखिर सरकार के घटते इकबाल के कारण राज्य में पंगू हो रही कानून व्यवस्था के लिए किसे दोषी ठहरायेंगे। जिलों-जिलों से दुराचार और उसके बाद हत्या अथवा आत्महत्या के समाचार क्या प्रदेश सरकार को नहीं मिल रहे है ? मिल रहे है तो कड़ी कार्यवाई के आदेश कौन देगा ?
उन्होंने बांदा की घटना की चर्चा करते हुए कहा कि बांदा देहात कोतवाली क्षेत्र के महोखर गांव निवासी रामलाल की पुत्री के साथ छेड़छाड़ की घटना होती है छेड़छाड़ के बाद जब युवती अपने परिजनों से कहती है तो उसके बाद विवाद उत्पन्न होता है और तंग आकर युवती खुद को आग लगाकर जान दे देती है। इसी प्रकार अभी सीतापुर के रामपुर के थाना क्षेत्र में महिला के साथ दुष्कर्म किया जाता है उसके बाद उसकी हत्या कर शव गन्ने के खेत में फेंक दिया जाता है। सपा मुखिया के संसदीय क्षेत्र के जनपद आजमगढ़ के पवई थाना क्षेत्र में सिकन्दरपुर गांव में युवती अचेत अवस्था में मिलती है, होश आने पर पता चलता है कि दवा लेने निकली थी और उसे अगवाकर दुष्कर्म किया गया, अब पुलिस की संवेदनहीनता देखिये मामले को दूसरे थाने में दर्ज करने हेतु परिवार को समझा बुझाकर टरका दिया गया। ये घटनाऐं तो बानगी है पर हकीकत है कि लचर कानून व्यवस्था के कारण बेटियों की जान पर बन आयी है।
श्री पाठक ने कहा मुख्यमंत्री जी तंज भी कसिये अपनी नाकामी का ठिकरा दूसरों पर फोड़ बचने की जुगत भी करिये किन्तु राज्य में महिला उत्पीड़न, दुराचार की बढ़ती घटनाओं पर ध्यान दीजिए। पांच वर्ष पूरे होने को है कब तक योजनाओं को गिना काम चलायेगे। राज्य में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध पंजीकृत नहीं हो रहे, कार्यवाही की नौबत आती है तो सपाईयों के दबाव प्रशासन पर आ जा रहे है। आखिर कैसे ठीक होगी राज्य की कानून व्यवस्था, जब सपाई ही कानून व्यवस्था को पलीता लगाने में जुटे है।

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