योगा को ‘‘जीवन एवं कल्याण के एक अभिन्न अंग‘‘ के प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास फलदायी हो सकते हैं। कल यानी 21 जून को ‘‘द्वितीय अंतराष्ट्रीय योगा दिवस‘‘ मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में अपने प्रयासों के तहत आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने एक सर्वेक्षण करवाया जिसमें 65 प्रतिशत मतदाता प्रतिभागियों का कहना था कि इस प्रकार के औपचारिक दिवसों की स्थापना ने उन्हें अधिक उम्र में जाकर योगाभ्यास करने के प्रति लोग गंभीरता पूर्वक सोचते हैं। इससे अधिक 52 प्रतिशत का कहना था कि उन्हें योगा पसंद है क्यों कि दिन भर के कामकाज के बाद योगा करने से मुक्ति मिलती है, वहीं 24 प्रतिशत का कहना था कि वे खेल गतिविधियों और 10 प्रतिशत का कहना था कि जिम जाकर अपनी थकान और तनाव को दूर करते हैं। चिंता की बात है तथापि आधे से भी अधिक उत्तरदाताओं (51 प्रतिशत) का कहना था कि क्रमशः उनके संस्थान न तो नियमित योगा सत्र का आयोजन करते हैं न ही अपने कर्मचारियों को इससे जुड़ने के लिए मापदण्डों से जुड़ने को प्रोत्साहित करते हैं। यह आंकड़े काफी महत्वपूर्ण विचारणीय है कि केवल 10 फीसदी लोग इसे भारी मानते हैं जबकि इनमें से 90 प्रतिशत का कहना है कि वे नियमित योगाभ्यास करन चाहते हैं लेकिन उनके संस्थानों से वांछित प्रोत्साहन नहीं मिलता है।
इस सर्वे के बारे में अपनी टिप्प्णी में संजय दत्ता, चीफ अण्डराइटिंग, क्लेम एण्ड रिइंशयोरेन्स, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि. ने कहा कि ‘‘ यह जानकर काफी खुशी हुई कि लोगों में यह स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगा है और वे विशद रूप से योगा को हर प्रकार से कल्याकारी मानने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास से योगा को अंतर्राष्ट्रीय मंच प्राप्त हुआ, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड भी इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वह इस कला को अपने कर्मचारियों को अंगीकार करवाएगा इसके साथ ही इसे अपने बीमा समाधानों का एक मुख्य अंग बनाएगा। अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस में इस बात का अवसर प्रदान करता है कि हम पीछे मुड़ कर अपने लक्ष्य को देखे कि हमने योगा के दीर्घावधि लाभों के बारे में कितनी जागरूकता बरती है।‘‘