लखनऊ: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत को मां मानने वाला ही शिक्षित कहा जाएगा, टुकड़े करने की बात करने वाला कतई नहीं। भारतीय शिक्षा पद्धति मनुष्य का निर्माण करती है और ऐसा नागरिक तैयार करती है, जिसमें राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव होता है।
स्मृति ने ये बातें लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एक संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा, 'कुछ अंग्रेजी पढ़े बुद्धिजीवी भारतीय शिक्षा पद्धति को संस्कृत का गुणगान कहते हैं, तो कुछ पत्रकार इसे भगवाकरण, पर इससे शिक्षा में संस्कार भरने के लिए उठे कदम रुकने वाले नहीं हैं।'
स्मृति ने यूथ इन एक्शन द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय और भारतीय शिक्षा पद्धति पर व्याख्यान दिया। संगोष्ठी के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्र की योजनाएं यूपी में जमीन पर नहीं उतर रहीं। साथ ही उन्होंने यूपी में महिला सुरक्षा पर भी चिंता जताई।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में शुक्रवार को ईरानी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रकरण की ओर इशारा करते हुए लोगों से पूछा, 'आप ही बताइए, भारत के टुकड़े करने वाला शिक्षित है या जननी जन्मभूमिश्च की अवधारणा मानने वाला। क्या ऐसा करने वाले भारतीय शिक्षा पद्धति से परिचित होंगे या जो भारत को माता के रूप में पूजते हैं।'
स्मृति ने भारतीय शिक्षा पद्धति को समाज को एकजुट करने वाला बताते हुए कहा, 'ऐसे उद्देश्य को लेकर दी जाने वाली शिक्षा ही समाज को एकसूत्र में बांधती है। देश को विकास पथ पर अग्रसर करती है।'
अपने विरोधियों व पत्रकारों पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा, 'समाज के कुछ बौद्धिक लोग मुझे संस्कृत का गुणगान करने वाला कहते हैं। इसमें पत्रकारों का एक गुट शिक्षा के भगवाकरण करने का आरोप लगाता है। शायद इन्हें भारतीय शिक्षा पद्धति का ज्ञान ही नहीं है। अब आप ही बताइए, शिक्षित कौन? डिग्रीधारी, भौतिक जीवन जीने वाला या फिर समाज की एकता के लिए मानवीय रूप अख्तियार करने वाला।'
राज्यपाल से मिली केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

राज्यपाल नाइक से की मुलाक़ात:

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक सेे आज राजभवन में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने शिष्टाचारिक भेंट की। मुलाकात के दौरान दोनों के बीच प्रदेश के उच्च शिक्षा में सुधार से जुडे़ कई मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। राज्यपाल ने केन्द्रीय मंत्री को मराठी में प्रकाशित अपने संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ की स्वयं हस्ताक्षरित प्रति भी भेंट की।