लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सभी राजनैतिक पार्टियां अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोरशोर से जुटी हई हैं, लेकिन उससे कई महीने पहले ही 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी' और राज्य के 'मुख्यमंत्री अखिलेश यादव' के बीच एक अलग ही किस्म का मुकाबला हो रहा है| अलग इसलिए, क्योंकि ये किस्में हैं 'फलों के राजा' कहे जाने वाले आम की|
राजधानी लखनऊ से लगभग 35 किलोमीटर दूर बसे कस्बे मलीहाबाद में है कलीमुद्दीन खान की अमराई (आम की बगीचा), जहां 'पीएम' और 'सीएम' के बीच यह मुकाबला हो रहा है| अपने आमों के बारे में बात करते हुए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित 75-वर्षीय कलीमुद्दीन कहते हैं, "मुझे कहना पड़ेगा, मोदी आम के मुकाबले अखिलेश आम कहीं ज़्यादा मीठा है| "
कलीमुद्दीन खान को वर्ष 2008 में आमों की सैकड़ों किस्में विकसित करने के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाज़ा गया था… उन्होंने एक ही पेड़ से 300 अलग-अलग किस्में हासिल करने का कारनामा भी दिखाया है… कलीमुद्दीन खान आम उगाने के 300 साल पुराने अपने खानदानी पेशे में वर्ष 1957 में शामिल हुए थे, जब वह सातवीं जमात के इम्तिहान में फेल हो गए थे|
उनका बगीचे को देखने के लिए उत्तर प्रदेश में आने वाली बहुत-सी देशी-विदेशी हस्तियां भी आती रहती हैं| सालों से उनके बगीचे को देखने के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री आते रहे हैं, और उनके बगीचे के आम भी दूर-दूर तक भेजे जाते हैं|