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एसबीआई का जैन फार्म फ्रेश फूड लिमिटेड के साथ समझौता

स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया(एसबीआई) ने जैन फार्म फ्रेश फूड लिमिटेड (जैन इरीगेशन सिस्टम्स लिमिटेड की एक इकाई) के साथ समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस नए गठबंधन के माध्यम से किसानों को जैन फार्म फ्रेश फूड लिमिटेड से जुड़ने में मदद मिल सकेगी और वे कम्पनी से अपने रखे हुए माल के विरुद्ध फायनेंस प्राप्त कर सकेंगे।
यह नया उत्पाद एक नवोन्मेशी पेशकश के साथ है जिसका प्रयोग कॉरपोरेट के इकोसिस्टम डाटा के साथ किया जाएगा ताकि ग्राहक को ऋण समाधान के लिए डिजीटली योग्य बनाया जा सके। किसानों के पूर्व प्रदर्शन के आंकड़े भी इस एंकर कम्पनी के पास होगे जिसका उपयोग किसान की ऋण पात्रता के लिए किया जा सकेगा। इसके लिए एसबीआई ने एक डिजीटल टूल विकसित किया है जिसके माध्यम से इस केन्द्रीयकृत इलेक्ट्रॉनिक ऋण मंजूरी मिल सके। यह समाधान पराम्परगत कृषि ऋण से भिन्न है जिसमें उत्पाद किसान की सम्पत्ति, जमीन होल्डिंग और फायनेंशियल इतिहास को देख कर कर्जा दिया जाता था। इसके स्थान पर मालिकाना इतिहास, प्रदर्शन के आंकड़ों और आम जनता से किसान की पात्रता और साख का पता कर उसे ऋण स्वीकृत किया जा सकेगा।
इस अवसर पर श्री रजनीश कुमार, एमडी, नेशनल बैंकिंग ग्रुप, एसबीआई ने कहा ‘‘हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था, विश्लेषक डिजीटल नवाचार, की संयुक्त सम्भावनाओं में अग्रणी हैं और कारपोरेट भागीदारी की सुदृढ़ता के लाभों से परिचित हैं। सरकार भी कृषि क्षेत्र की समीक्षा के लिए कई कदम उठा रही है जैसे नई फसल बीमा योजना, सिंचाई सुविधाओं को प्रोत्साहन, किसान सुविधा एप्प, इलेक्ट्रॉनिक मण्डी पोर्टल इत्यादि। यह सभी कृषि क्षेत्र को और विकसित करने में मददगार होंगे और सकल घरेलू उत्पाद दर (जीडीपी) को प्रोत्साहन देंगे। हमारे कॉरपोरेट ग्राहक इस कार्यक्रम के महान मूल्यों को देखेंगे और अपने ईकोसिस्टम को और सुदृढ़ता प्रदान कर सकेंगे।
इस मौके पर श्री के.एम. त्रिवेदी, सीजीएम-ग्रामीण व्यापार, जैन इरीगेशन सिस्टम्स लि. ने कहा ‘‘किसानों को कॉरपोरेट उत्पाद प्राप्तियों के विरुद्ध ऋण एक नवाचारी उत्पाद है क्यों कि अब हम सभी किसानों जो कि किसी एंकर से जुड़े हैं बिना पारम्परिक वित्तपोषण सूचना के स्रोत के उन्हें ऋण उपलब्ध करवा सकेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि, इस समाधान के माध्यम से त्वरित एवं आसानी के साथ किसानों को ऋण उपलब्ध हो सकेगा, तथा उन्हें अनौपचारिक ऋण देने वालों के भरोसे नहीं रहना होगा। पूंजी के लिए उपयोग के साथ, किसान आने वाले फसल चक्र के लिए भी निवेश की स्थिति में होगा जिसके चलते उसे अतिरिक्त आय का अवसर मिल सकेगा।

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