डीडवाना, राजस्थान के अट्ठारहवीं शताब्दी के फ़ारसी के महाकवि, चिंतक,संस्कृत के विद्वान और धर्म गुरू मुहम्मद अकरम उस्मानी फ़ैज़ की 22 पुस्तकों पर ईरान सरकार शोध करवाएगी। इस बात का आशय फ़ैज़ की पुस्तकें लेकर ईरान गए पत्रकार अख़लाक़ अहमद उस्मानी को ईरान सरकार और तेहरान विश्वविद्यालय ने दिया है।
अपने एक सप्ताह के ईरान दौरे से बुधवार को स्वदेश लौटेअख़लाक़ उस्मानी ने दूरभाष पर बताया कि ईरान सरकार के संस्कृति राज्य मंत्री डॉ. हबीब रज़ा अरज़ानी ने राष्ट्रपति के आग्रह पर मुहम्मद अकरम उस्मानी फ़ैज़ की पुस्तकों का सेट अख़लाक़ उस्मानी से स्वीकार किया और फ़ारसी भाषा और साहित्य का जानकार होने के नाते फ़ैज़ के साहित्य का अवलोकन किया। डॉ. हबीब रज़ा ने उस्मानी को भरोसा दिलाया कि अकरम के साहित्य को संस्कृति मंत्रालय आर्काइव (सहेजना) करेगा और उनकी पुस्तकों का डिजिटल और रिप्रिंट संस्करण ईरान के सबसे बड़े पुस्तकालय तेहरान संस्कृति मंत्रालय के पुस्तकालय में लोगों के अवलोकन के लिए रखेगा। डॉ. अरज़ानी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि डीडवाना जैसे इलाके़ में फ़ारसी का ऐसा कवि मौजूद था। डॉ. अरज़ानी ने उस्मानी परिवार के मुखिया रफ़ीक़ अहमद उस्मानी का शुक्रिया अदा करते हुए उनसे फ़ैज़ की बाक़ी सभी किताबों का डिटिजल संस्करण माँगा ताकि उसे भी ईरान के सबसे बड़े पुस्तकालय में अवलोकन के लिए रखा जा सके। उन्होंने उस्मानी परिवार को धन्यवाद देते हुए ईरान सरकार की तरफ़ से महान् सूफ़ी कवि हाफ़िज़ शिराज़ी का महाकाव्य भेंट किया और आशा व्यक्त की कि उस्मानी परिवार फ़ारसी भाषा और संस्कृति में अपना अमूल्य योगदान देता रहेगा।
अख़लाक़ उस्मानी ने फ़ैज़ की पुस्तकों का एक और सेट तेहरान विश्वविद्यालय के फ़ारसी भाषा विभाग के प्रबंधक डॉ. अली रज़ा हाइजान निजहाद को भेंट की। डॉ. निजहाद ने उस्मानी परिवार को धन्यवाद देते हुए इस बात का आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय अकरम फ़ैज़ के साहित्य का अवलोकन करने के बाद छात्रों को इस पर शोध करने के लिए निर्देश देगी। उन्होंने उस्मानी परिवार के मुखिया रफ़ीक़ अहमद उस्मानी का शुक्रिया अदा करते हुए उनसे माँग की मुहम्मद अकरम उस्मानी फ़ैज़ की सभी पुस्तकों का डिजिटल संस्करण उपलब्ध करवाएँ ताकि आगे भी फ़ारसी भाषा के विद्यार्थियों को मुहम्मद अकरम पर शोध के लिए प्रेरित किया जा सके। डॉ. निजहाद ने इस अवसर पर अख़लाक़ उस्मानी को मुहम्मद अकरम उस्मानी फ़ैज़ के साहित्य के लिए प्रशंसा पत्र लिखा और उस्मानी परिवार का धन्यवाद अदा किया। इसके पहले अख़लाक़ उस्मानी ईरान के सुप्रीम लीडर के साथ एक कार्यक्रम में शरीक़ हुए और यह पुस्तकें संस्कृति मंत्रालय और तेहरान विश्वविद्यालय को भेंट की। रमज़ान की व्यस्तता के कारण राष्ट्रपति से उनकी भेंट नहीं हो पाई।
पत्रकार अखलाक़ उस्मानी अपनी एक सप्ताह की ईरान यात्रा से बुधवार को दिल्ली लौटे।ईरान प्रवास में अख़लाक़ उस्मानी ने ईरान में लोकतंत्र के संस्थापक अयातल्लाह ख़ुमैनी की यादगार तीन दिवसीय सम्मेलन में शरीक़ हुए। उस्मानी ने भारतीय पत्रकार की हैसीयत से यहाँ शिरकत की और ईरान के सुप्रीम लीडर अयातल्लाह ख़ामनेई के कार्यक्रम में शरीक़ हुए। बाद में वह तेहरान से मशहद शहर भी गए जहाँ इस्लामी इतिहास की सबसे बड़ी दरगाहों में एक दरगाह इमाम अली रज़ा गए और देश में अमन और भाईचारे की दुआ माँगी। अपने सात दिन के प्रवास में उस्मानी कई मंत्रियों, अकादमिक और साहित्यिक हस्तियों से मिले। भारत के अलावा ईरान सरकार ने दुनिया भर के 40 देशों के प्रतिनिधियों, पत्रकारों और अकादमिक लोगों को आमंत्रित किया था।