वॉशिंगटन: विश्व बैंक ने 2016 में भारत के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान में मामूली कमी करते हुए आज कहा कि यह दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। बैंक ने यह भी कहा है कि भारत अन्य बड़े उदीयमान बाजारों की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि करना जारी रखेगा।
विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम ‘वैश्विक आर्थिक परिदृश्य’ रपट में इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। बैंक ने जनवरी में यह दर 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। बैंक ने इस साल के लिए भारत के वृद्धि दर अनुमान में 0.2 प्रतिशत की मामूली कमी की है जबकि चीन के लिए उसने अपने अनुमान को पूर्व के स्तर पर कायम रखा है। इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। बैंक ने 2017 व 2018 में भारत के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर अनुमान में 0.2 प्रतिशत की मामूली कमी करते हुए इसके 7.7 प्रतिशत (दोनों साल) रहने का अनुमान लगाया है।
बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है,‘वित्त वर्ष 2016-17 से 2018-19 में 7.6-7.7 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ भारत अपने बड़े उदीयमान बाजारों की तुलना में तेजी से वृद्धि जारी रखेगा।’ बैंक ने कहा है कि वैश्विक वृद्धि अनुमान में 0.5 प्रतिशत की मामूली कमी विकसित देशों में नरम मांग, जिंस कीमतों में नरमी तथा कमजोर वैश्विक व्यापार के कारण की गई है।
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने एक बयान में कहा है,‘ यह कमजोर वृद्धि इस जरूरत को रेखांकित करती है कि देशों के लिए आर्थिक वृद्धि को बल देने वाली नीतियां जारी रखना कितना महत्वपूर्ण है। ऐसी नीतियां जो अति गरीबी में रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार करें।’ जिम ने कहा है,‘गरीबी घटाने के लिहाज से आर्थिक वृद्धि सबसे महत्वपूर्ण कारक बनी रहेगी इसीलिए हम चिंतित हैं कि कमजोर जिंस कीमतों के चलते जिंस-निर्यात केंद्रित विकासशील देशों में वृद्धि में तेजी से गिरावट आ रही है।’ बैंक का कहना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई जो कि 2014-15 की तुलना में 0.4 प्रतिशत ज्यादा है।’ यह वृद्धि मुख्य रूप से अच्छी घरेलू मांग के कारण दर्ज की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है,‘आंशिक रूप से भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रणाली में मौजूदा उदारीकरण के कारण भारत में एफडीआई अक्टूबर 2014 में मेक इन इंडिया अभियान की शुरआत से लेकर फरवरी 2016 तक 37 प्रतिशत बढ़ा।’ इस दौरान कंप्यूटर साफ्टवेयर व आटोमोटिव क्षेत्रों ने सबसे अधिक निवेश आकषिर्त किया।
इसके अनुसार,‘ कमजोर बाह्य (विदेशी) मांग के कारण दबाव में आई विनिर्माण गतिविधियां भी 2015-16 की चौथी तिमाही में 9.3 प्रतिशत बढी।’ इसमें कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों में मजबूती से रोजगार सृजन, निम्न मुद्रास्फीति से वास्तविक आय में मजबूती तथा वेतन बढोतरी के कारण शहरी खपत बढ रही है। रिपोर्ट के अनुसार बिजली उत्पादन, सड़क, रेलवे व शहरी बुनियादी ढांचे में बढे सार्वजनिक निवेश से कारोबारी माहौल सुधारने तथा आपूर्ति संबंधी बाधाएं घटाने में मदद मिल रही है।