नई दिल्‍ली: भारत ने सबसे तेजी से उभरती अर्थव्‍यवस्‍था के मामले में दुनिया में अपनी बढ़त बरकरार रखी है। उसकी पिछले दिसंबर तिमाही के 7.3 प्रतिशत की तुलना में चौथी मार्च तिमाही में यह दर बढ़कर 7.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा चौथी तिमाही के अनुमानित 7.5 प्रतिशत वृद्धि से भी बेहतर है।
इस लिहाज से भारत ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था चीन पर अपनी बढ़त बनाए रखी है। वहां इस साल जनवरी-मार्च के दौरान जीडीपी दर पिछले सात साल के सबसे निचले स्‍तर पर गिरकर 6.7 प्रतिशत तक रह गई है। मंगलवार को जारी किए गए यह आंकड़े हाल ही में दो साल का कार्यकाल पूरा करने वाली मोदी सरकार के लिए बड़ी खुशखबरी है।
वित्‍तीय वर्ष 2015-16 में जीडीपी दर उसके पिछले 2014-15 वर्ष के 7.2 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई थी। हालांकि वित्‍तीय वर्ष 2016 में अर्थव्‍यवस्‍था का प्रदर्शन बेहतर रहा लेकिन मौजूदा वित्‍तीय वर्ष 2017 को लेकर अर्थशास्‍त्री और बाजार विश्‍लेषक सतर्क हैं। आर्थिक सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्‍तीय वर्ष में जीडीपी वृद्धि के इससे आगे बढ़ने की उम्‍मीद नहीं है और इसी के आस-पास रहने की संभावना है।
उल्‍लेखनीय है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लगातार दो सूखे का सामना करना पड़ा है और इससे सर्वाधिक कृषि क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है। रोजगार के लिहाज से इस क्षेत्र में देश की करीब 50 प्रतिशत आबादी लगी है और जीडीपी में इसकी हिस्‍सेदारी तकरीबन 15 प्रतिशत है।
इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट के चलते निर्यात पर असर पड़ा है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर ही अरुण जेटली ने कहा कि जीडीपी में वृद्धि दर उसकी संभावनाओं से "काफी कम" है।