वडोदरा: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन को हुबली में 24 मई से होने वाले अंतर क्षेत्रीय टूर्नामेंट के लिए पश्चिम क्षेत्र की अंडर-16 टीम में शामिल किया गया है। ओ.एम. भोसले टीम के कप्तान होंगे। टूर्नामेंट छह जून तक चलेगा।
लेकिन अर्जुन के चयन की बजाय यह खबर इसलिए ज्यादा सुर्खियों में है कि एक पारी में 1000 रन बनाने प्रणव धनावड़े का इस टीम में चयन नहीं हुआ। प्रणव धनावड़े जैसी प्रतिभा के न चुने जाने से सोशल मीडिया पर बहस लगातार बढ़ती जा रही है। लोग धनावड़े को आधुनिक युग का एकलव्य तक बता रहे हैं। ज्ञात हो कि प्रणव के पिता एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हैं।
उल्लेखनीय है कि चयन समिति में समीर दीघे भी थे। जिनकी पहचान सचिन तेंदुलकर के करीबी और शुभचिंतक के रूप में रही है। यहां तक कि लचर विकेटकीपिंग और बेहद कमजोर बल्लेबाजी के बावजूद भी सचिन उनको अपनी कप्तानी वाली टीम इंडिया में जगह दिलाने में कामयाब रहे थे।
बता दें कि प्रणव धनावड़े स्‍कूली क्रिकेट में 1,009 रन की नाबाद पारी खेलकर देश ही नहीं अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बन गए थे। इस पारी के बाद धनावड़े को स्वयं मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इस उपलब्धि पर खुद के ऑटोग्राफ वाला बैट गिफ्ट किया है।
सचिन तेंदुलकर के अलावा टीम इंडिया के एमएस धोनी और हरभजन सिंह जैसे सितारों ने भी उन्हें बधाई दी थी। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने भी प्रणव को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से सम्मानित किया था।
दादर यूनियन ग्राउंड पर क्रिकेट के पहले 'हजारी लाल' को लेकर वेंगसरकर ने कहा था कि दुनिया मानने लगी है कि प्रणव धनावड़े वाकई हजारों में एक हैं। इस मौके पर दिलीप वेंगसरकर और अजित वाडेकर ने प्रणव को क्रिकेट किट तोहफे में दी थी। लेकिन आज इस 'हजारों में एक' को अंडर 16 के 15 खिलाड़ियों में जगह न मिलना अचंभे की बात तो है ही।
प्रणब की उबलब्धि वाकई में खास थी, इसलिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने भी प्रणव को उसकी उपलब्धि के लिए अगले 5 साल तक हर महीने 10000 रुपये की स्कॉलरशिप देने का फैसला भी किया था।