काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 9 छात्रों के निष्कासन के मामले में राजनीति बढ़ती जा रही है जहाँ एक तरफ कुछ राजनीतिक दल कुलपति पर विश्वविद्यालय के भगवाकरण का आरोप लगा रहे है वही छात्रों का एक समूह खुलेआम विश्वविद्यालय प्रशासन के समर्थन में आ गया है। इसी मुद्दे पर सोमवार को सैकड़ो की संख्या में छात्रों ने हिन्दू संस्कृति के समर्थन में और राजनीतिक दलों द्वारा विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुँचाने के विरोध में। लंका गेट से लेकर रविदास गेट तक भगवा मार्च निकाला। इस दौरान छात्र नेता कौस्तुभ त्रिपाठी ने कहा कि जिस प्रकार विश्वविद्यालय प्रशासन के बहाने हिंदुत्व पर निशाना साधा जा रहा है वो गलत है। मालवीय जी ने हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की नींव रखी थी । जिन छदम् सेकुलरो को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की हिन्दू संस्कृति से दिक्कत है वो पहले अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मुस्लिम संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने का विरोध करें। कौस्तुभ त्रिपाठी ने ये भी कहा कि पूरे देश में सेकुलरिस्म के नाम पर हिंदुवो को निशाने पर लेकर अपमानित किये जाने का माहौल बनाया जा रहा है वो अब और बर्दाश्त नही किया जायेगा। छात्रों के निष्कासन को लेकर कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटिया सेक रहे है। ये विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है जिसमें बाहरी लोगो का हस्तक्षेप बर्दाश्त नही किया जायेगा। छात्रनेता अनुपम शुक्ला ने कहा जो भी छात्र निष्कासित किये गए है वो अनुषासन हीनता के चलते निष्कासित किये गए हैं ऐसे में इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस ना पहुंचाई जाये, jविश्वविद्यालय परिसर में राजनीतिक गतिविधियाँ वर्जित है अगर कोई दल विश्वविश्वद्यालय परिसर में आकर भगवा को अपमानित करेगा तो इसे हर्गिज बर्दाश्त नही किया जायेगा । छात्रनेता हिमांशु मिश्र का कहना है कि जो छात्र परीक्षाओ के समय पेपर न देकर 24 घण्टे लाइब्रेरी खुलवाने के लिये धरना दे रहे थे वो सोचिये कितने पढ़ने वाले हैं? हिमांशु ने कहा कि लाइब्रेरी के बहाने सोची समझी शाजिस के तहत विश्वविद्यालय को बदनाम करने की शाजिस की जा रही है । इस मौके पर विश्वरंजन जी, प्रिंस सिंह, दिव्य जैसवाल, अंकित तिवारी, अनुराग राय, अभिज्ञान प्रसून, स्वप्निल सागर, सौरभ सुमन, अंकित सिंह आदि समेत सैकड़ो छात्र मौजूद रहे ।