लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा अखिलेश सरकार की नीतियों के कारण राज्य में भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा बेरोजगारी भत्ते का वादा कर सत्ता में आयी सपा सरकार ने बेरोजगारों के साथ छल किया। भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को लेकर उठते सवालों के कारण लोग न्यायालय की शरण में गये, अन्तोगतवा इसका खमियाजा प्रदेश के बेरोजगारों-नौजवानों को भुगतना पड़ रहा है।
शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने हाईकोर्ट द्वारा पुलिस भर्ती के अंतिम परिणामों पर लगाई रोक पर कहा कि 28 हजार पुरूष और 5800 महिला सिपाहियों की भर्ती होनी थी, भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर पहले दिन से ही ढ़ेरो सवाल उठ रहे थे। जिस दिन से मुख्यमंत्री ने बगैर लिखित परीक्षा के अधार पर भर्ती की बात कही थी, उस दिन से सरकार की नियत पर संदेह व्यक्त हो रहा था कि कहीं अपने-अपनों को उपकृत करने के लिए तो परीक्षा को समाप्त नहीं किया गया है, पहले भी समाजवादी पार्टी शासन पुलिस भर्ती प्रक्रिया में चयन को लेकर विवाद में रहा है। प्रक्रिया से लेकर चयन के अंतिम सूची शीर्ष राजनैतिक नेतृत्व के निर्देश तैयार होने तक के आरोप रहे। पिछले पुलिस भर्ती पर तो सपा के कद्दावर मंत्री शिवपाल यादव ने खुद स्वीकार किया था कि हमारे जिलाध्यक्षों एवं विधायकों ने पैसे लेकर भर्ती करवायी।
उन्होंने कहा कि प्रक्रियागत दोष के कारण न्यायालय की चौखट तक पहुंच रहे मामलों पर अखिलेश सरकार गंभीर क्यों नहीं है ? आखिर राज्य में लाखों पद रिक्त है सरकार का काम-काज भी प्रभावित हो रहा है, बेरोजगार नौकरी के लिए सड़क पर है यानि सरकार के पास काम करने वाले नहीं है और लोग काम की तलाश में है किन्तु उनकी तलाश सरकार के नीतियों के कारण पूरी नहीं हो पा रही है और बदले में राज्य विकास की दौड़ में पिछड़ रहा है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा विकास के थोथे वादे गिनाते मुख्यमंत्री विकास योजनाओं को मूर्तरूप नहीं दे पा रहे है। अखिलेश सरकार में बेरोजगार नौजावन भेदभाव का शिकार है।