नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी मरीन साल्वाटोर गिरोने की जमानत शर्त में ढील दी और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकारण की ओर से अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर फैसला किए जाने तक उसे इटली जाने की अनुमति दे दी है। गिरोने अब कुछ शर्तों के साथ इटली जा सकेगा और उसे इटली के थाने में हर दिन हाजिरी भी लगाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि इतालवी राजदूत को इस बारे में नया हलफनामा देना होगा कि यदि अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण भारत के पक्ष में फैसला देता है तो गिरोने भारत लौटेगा। केंद्र ने न्‍यायालय को बताया कि उसे मरीन की जमानत शर्त में ढील दिए जाने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बीते दिनों साल्वातोर गिरोने की उस याचिका पर 26 मई को सुनवाई करने पर सहमत हो गया था, जिसमें उसने भारत तथा इटली के बीच अधिकार क्षेत्र मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत की ओर से फैसला किए जाने तक अपने देश जाने की अनुमति मांगी थी। गिरोने उन दो इतालवी मरीनों में से एक है जो केरल के अपतटीय क्षेत्र में भारत के दो मछुआरों की हत्या के आरोपी हैं। दूसरा मरीन मैसिमिलयानो लाटोरे स्वास्थ्य आधार पर पहले से ही इटली में है तथा शीर्ष अदालत ने उसके वहां रहने की अवधि हाल में इस साल के 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी।
इटली ने भारत के उच्चतम न्यायालय से गिरोने को भारत से जल्द स्वदेश भेजने के संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता पंचाट के फैसले को तत्काल लागू करने का अनुरोध किया था। गिरोने अभी हत्या के आरोप में भारत में कैद है। यह मामला उच्चतम न्यायालय के सामने आया और शीर्ष अदालत ने 26 मई को इटली की याचिका पर सुनवाई की सहमति जताई थी।
गौर हो कि गिरोने उन दो इतालवी मरीनों में से एक हैं जो पोत ‘एनरिका लेक्सी’ पर सवार थे और उन पर वर्ष 2012 में केरल के तट पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या का आरोप है। दूसरा मरीन मासिमिलियानो लातोरे वर्ष 2014 में तबियत खराब होने के कारण इटली वापस चला गया।