लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज भारतीय कृषि गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के कृषि विज्ञान केन्द्रों की 23वीं वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ0 ए0के0 सिंह उपमहानिदेशक आई0सी0ए0आर सहित कृषि से जुडे़ संस्थानों व कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने वाले तीन किसानों को स्मृति चिन्ह व शाल देकर सम्मानित भी किया। राज्यपाल ने केन्द्र सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र में चलायी जा रही नयी परियोजनाओं की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर बधाई दी।
राज्यपाल ने कृषि विज्ञान केन्द्रों का आह्वान किया कि सरकारी योजनाओं को किसानों तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बनें। कृषि ज्ञान को केन्द्र तक सीमित न रहकर किसानों के खेत तक पहुँचाने का प्रयास होना चाहिए। फूल, औषधीय पौंधे, फल एवं इत्र उत्पादन को कैसे व्यवसायिक बनाया जा सकता है इस पर विचार करने की जरूरत है। किसानों को उचित प्रशिक्षण मिले तो उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के लिए दीप स्तम्भ का कार्य करें।
श्री नाईक ने कहा कि बी0काम0 का छात्र होने के कारण वे हर बात को नफा और नुकसान की दृष्टि से देखते हैं। वैज्ञानिक अपने ज्ञान का उपयोग कृषि के विकास के लिए करें। ग्रामीण क्षेत्र में समृद्धि के बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। देश की प्रगति में ग्रामीण क्षेत्र, कृषि एवं कृषि से जुडे़ उद्योगों की भी प्रगति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक कैसे पहुँचे, इस पर विचार होना चाहिए।
राज्यपाल ने हिन्दुतान-पाकिस्तान युद्ध के समय खाद्यान्न कमी के कारण गेहूँ आयात करना पड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान‘ का नारा देकर जवान एवं किसान दोनों का उत्साहवर्द्धन किया था तथा आम जनता को उपवास की भी सलाह दी थी। 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उस नारे में ‘जय विज्ञान‘ जोड़कर एक नये अध्याय को जोड़ा था। आजादी के बाद देश की आबादी तीन गुना बढ़ गयी है और हमारे खाद्यान्न उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इच्छाशक्ति के आधार पर कृषि क्षेत्र में विज्ञान के उपयोग से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
श्री नाईक ने कहा कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन देश में सबसे ज्यादा होता है। महाराष्ट्र की जमीन एवं सिंचाई साधन उत्तर प्रदेश जैसे नहीं हैं फिर भी चीनी के उत्पादन में दोनों प्रदेशों में अन्तर है। इसका तुलनात्मक अध्ययन करके उत्पादन बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में उत्तर भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तर प्रदेश के विकास से देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि उसी प्रकार की मेहनत उत्तर प्रदेश में की जाय तो यह प्रदेश उत्तम प्रदेश बन सकता है।
डॉ0 ए0के0 सिंह उपमहानिदेशक आई0सी0ए0आर0 ने कहा कि उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है जिसकी परिस्थितियाँ और समस्याएं भी अलग-अलग हैं। अनुसंधान केन्द्रों में वैज्ञानिकों की संख्या एवं संसाधन बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। फसलों का उत्पादन कैसे बढ़े इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को विज्ञान केन्द्र से जोडे़ ताकि किसानों तक ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुँचे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन किया तथा उद्यमिता विकास पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।