लखनऊ: वाटर पू्रफिंग भारत के लिए कोई नया नहीं है, सैंकड़ो वर्षों से, भारतीय ऐसे निर्माण डिजाइन्स से जुड़े हैं जो कि इस बात की सुनिश्चितता प्रदान करते हैं कि कम से कम पानी का रिसाव होगा, इसके लिए गुम्बद नुमा या ढलान वाली छतें बनाई जाती थी ताकि छत पर बारिश का जमा होने वाला पानी झटपट निकल जाए।हालांकि आज, गुम्बद या डोम आकर की छते बनाना काफी खर्चीला हो गया है, और शहरी इलाकों में सपाट छत प्रचलन में है और ढंलवां छतों का युग धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है।
डॉ. संजय बहादुर, ग्लोबल सीईओ कन्सट्रक्शन केमिकल डिवीजन, पिडीलाइट्स इण्डस्ट्रीज के अनुसार आधुनिक केमिकल विकल्पों से मिलने वाले लाभों के प्रति आम लोगों में जागरूकता का स्तर काफी नीचे है। कई लोग अभी भी पुराने, अप्रचलित तरीकों को वाटरपू्रफिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसा कि उनके परिवारों में पीढ़ियों से किया जाता रहा है।क्या कोई अपनी नमी युक्त छतों, दीवार पर आई दरारों को रंग से भर कर अपने घरों की बढ़ती नमी को रोक पाया है? इसका जवाब निश्चित तौर पर ना में ही मिलेगा, इसलिए सामन्य अवरोध (वाटरप्रूफिंग) के लिए ही पानी के जमाव को रोकना है।
तथापि यह आवश्यक है वाटप्रूफिंग समाधानों जैसे कि डॉ. फिक्सइट का प्रयोग करना, जो टिकाऊ पन देने के साथ ही संरचना का जीवन परम्परागत समाधानों की तुलना में दुगुना कर देता है। आधुनिक वाटरपू्रफिंग समाधान आधुनिक वाटरपू्रफिंग समाधान सरफेस मूवमेंट को उच्च लचीलापन प्रदान करती है वहीं संरचना में एक ऐसी परत बिछा देती है जो कि पानी के रिसाव के लिए अवरोधक का काम करता है। यह उत्पाद आधुनिक वाटरप्रूफिंग सॉल्यूशन्स के अनुसार मानकीकृत है इसके अलावा इसे लगाने के बाद बेहतरीन फिनिशिंग तो आती ही है साथ ही इनका उपयोग भी आसान है।
सामान्य रूप से यह गलत अवधारणा है कि आधुनिक रसायनयुक्त वाटरपू्रफिंग एक अतिरिक्त अनावश्यक खर्च है, जिसे कुल मिला कर परम्परागत वाटरपू्रफिंग समाधान के स्थान पर काम में लेना है। हाल ही में जहां कहीं पर भी भी आधुनिक वाटर प्रूफिंग समाधान का उपयोग किया गया वहां पर अन्य किसी प्रकार के परम्परागत वाटप्रूफिंग समाधान की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।