चेन्नई : अनुभवी क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया का एक दशक से भी अधिक समय बाद फिर से बीसीसीआई अध्यक्ष बनना तय है क्योंकि वह निवर्तमान एन श्रीनिवासन के गुट से सर्वसम्मत उम्मीद्वार के रूप में सामने आये हैं।

डालमिया का रास्ता इसलिए भी साफ हो गया क्योंकि एक अन्य पूर्व अध्यक्ष शरद पवार को पूर्वी क्षेत्र से प्रस्तावक नहीं मिला जिससे वह कल होने वाली बहु प्रतीक्षित आम सभा की बैठक से पहले ही दौड़ से हट गये। यह भी पता चला है कि यदि वर्तमान बोर्ड सचिव संजय पटेल को पवार के वफादार अनुराग ठाकुर से चुनौती नहीं मिलती है तो फिर वह अपने पद पर बने रहेंगे। बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष 70 वर्षीय डालमिया पूर्वी क्षेत्र से दो मतों पर नियंत्रण रखते हैं और श्रीनिवासन की वफादार इकाईयों में किसी अन्य नाम पर सहमति नहीं बनने के कारण वह कल से शीर्ष पद पर आसीन होने के प्रमुख दावेदार बन गये।

डालमिया की दावेदारी आज तब और मजबूत हो गयी जबकि पवार को अध्यक्ष पद के नामांकन के लिये पूर्वी क्षेत्र से कोई प्रस्तावक नहीं मिला। पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाईयां श्रीनिवासन गुट की समर्थक हैं। उनके समर्थकों ने एजीएम से पहले आज यहां बैठक की।

बीसीसीआई सूत्रों ने कहा, इस बार पूर्वी क्षेत्र की बारी है इसलिए डालमिया के पास पूर्व से प्रस्तावक और अनुमोदनकर्ता दोनों हैं। नामांकन आज तीन बजे था। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष ठाकुर पवार गुट की तरफ से सचिव पद के उम्मीद्वार होंगे जबकि गोवा के चेतन देसाई को संयुक्त सचिव पद के लिये झारखंड क्रिकेट संघ के अमिताभ चौधरी का सामना करने के लिये चुना गया है। चौधरी श्रीनिवासन गुट के सदस्य हैं। हरियाणा के अनिरूद्ध चौधरी कोषाध्यक्ष होंगे।

पवार को अध्यक्ष पद के लिये संभावित उम्मीद्वार माना जा रहा था। वह कल ही यहां पहुंच गये थे और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक भी की। पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर भी एजीएम के लिये यहां पहुंच गये हैं। पवार गुट से उपाध्यक्ष पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया, रवि सावंत और एम पी पांडोव उम्मीद्वार हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के कारण श्रीनिवासन को मजबूर होकर अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना पड़ा जिससे डालमिया का शीर्ष पद पर पहुंचने का रास्ता साफ हुआ।

श्रीनिवासन कल चुनाव प्रक्रिया के दौरान केवल मतदान कर पाएंगे। श्रीनिवासन के उच्चतम न्यायालय में कानूनी जंग में व्यस्त होने के कारण एजीएम पिछले कुछ समय से टाली जा रही थी। उच्चतम न्यायालय अभी आईपीएल स्पाट फिक्सिंग की सुनवाई कर रहा है। अदालत ने श्रीनिवासन की बीसीसीआई अध्यक्ष और आईपीएल टीम मालिक के तौर पर हितों के टकराव की कड़ी आलोचना की थी।