नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने के संकेत दिया है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आयोग की सिफारिशों पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य आत्मनिर्भर बनेंगे. फिलहाल राज्यों को 32 फीसदी राजस्व में हिस्सा मिलता है, अगर नयी सिफारिश पर सहमति बनी तो राज्यों का राजस्व हिस्सा 10 प्रतिशत तक बढ़ जायेगा. उन्होंने कहा कि विकास में राज्यों का सिर्फ रोल होता है, बल्कि  बहुत अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि गरीबों के बीच अच्छे से पैसे खर्च करने, गरीबी खर्च करने, इन्फ्रास्ट्रचर तैयार करने में यह पैसा खर्च किया जायेगा. उन्होंने यह भी कि कमजोर ढांचे वाले 11 राज्यों को राजस्व मदद की जायेगी. उन्होंने कहा कि नगर निगम को विकास योजनाओं अधिक वित्तीय अधिकार देने के लिए केंद्र प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग का गठन सरकार ने इसी अवधारणा के आधार पर की है. अपनी प्रेस कान्फ्रेंस से पहले संसद में वित्तमंत्री ने आयोग की रिपोर्ट को टेबल किया.

वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है. यह फिलहाल 32 प्रतिशत है. 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कर हस्तांतरण संबंधी सुझाव लागू होने पर राज्यों को 2014-15 के 3.48 लाख करोड़ रुपए और 2015-16 में 5.26 लाख करोड़ रुपए प्राप्त होंगे. 

 रिपोर्ट में कहा गया है ‘ज्यादा कर हस्तांतरण से राज्य सरकारों को अपनी जरुरतों और अनिवार्यताओं के मुताबिक योजनाओं के वित्तपोषण और डिजाइन में अधिक स्वायत्तता मिलेगी.’ 

वाय वी रेड्डी की अध्यक्षता वाले आयोग के अंशकालिक सदस्य अभिजीत सेन ने इस पर असहमति जताई लेकिन सरकार ने राज्यों को कर हस्तांतरण से संबंधी ज्यादातर फैसलों को स्वीकार कर लिया है. सेन ने अपनी असमति पत्र में कहा था कि पहले साल विभाजनीय कर राजस्व में राज्यों का हिस्सा 38 प्रतिशत रखा जाए. 

 आयोग का सुझाव है कि 2015-20 की अवधि में राज्यों के राजस्व और व्यय का संभावित आकलन करने के बाद 11 राज्यों के घाटे को पूरा करने के लिए 1.94 करोड़ रुपये का अनुदान दिए जाने की सिफारिश की है.

रिपोर्ट में कहा गया ‘राज्यों को ज्यादा हस्तांतरण के कारण केंद्र का राजकोषीय दायरा इसी अनुपात में कम होगा.’ एक विचाय है कि ज्यादातर संसाधन का प्रवाह कर राजस्व के हस्तांतरण के रूप में ही होना चाहिए. 

 वित्त आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि बहुत से राज्यों ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या और उनके परिव्यय घटाने का सुझाव दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सहयोपूर्ण संघवाद की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने शुद्ध केंद्रीय कर प्राप्ति में राज्यों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत करने के 14वें वित्त आयोग के सुझाव को स्वीकार कर लिया है. 

इसी अवधारणा के अनुसार (योजना आयोग की जगह) नीति आयोग का गठन हुआ है, को ध्यान में रखकर सरकार ने सूत्रों ने कहा कि इस सुझाव के आधार पर किए जाने वाले कर हस्तांतरण से राज्यों की प्रप्ति में गुणात्वम बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा ‘हस्तांतरण अनुपात में यह वृद्धि अब तक का सबसे बड़ा बदलाव है. पिछले वित्त आयेागों ने 1-2 प्रतिशत की बढ़ोतरी के ही सुझाव दिये थे.’ 

 उन्होंने कहा ‘2014-15 के कुल हस्तांतरण के मुकाबले 2015-16 में राज्यों को होने वाले कर हस्तांतरण में 45 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी होगी.’ आयोग ने विधिवत निर्वाचित ग्राम पंचायतों और नगरपालिका संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए राज्यों को अनुदान दिये जाने की भी सिफारिश की है. अनुदान को मूल अनुदान और प्रदर्शन अनुदान में विभाजित किया जाएगा. 

 उल्लेखनीय है कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाली पांच वर्ष की अवधि में पंचायतों और नगरपालिका समेत स्थानीय निकायों के लिए कुल अनुदान 2.88 लाख करोड़ रुपये होगा.