मुख्यमंत्री ने पेश किया 3.02 लाख करोड़ का बजट

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज विधान भवन में 3.02 लाख करोड़ का बजट पेश किया। यह सीएम अखिलेश यादव का चौथा बजट है। विधान भवन के तिलक हाल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वित्तीय वर्ष 2015-16 का जो बजट पटल पर रखा वह बीते वर्ष के मुकाबले 10.20 प्रतिशत अधिक का है।

इस बार बजट में 21 शहरों से स्लम हटाने के लिए 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। गोमती की सफाई के लिए 400 करोड़ का बजट पास हुआ जबकि सड़क और पुल के लिए 12 हजार करोड़ का बजट है। स्वच्छ भारत मिशन के लिए सरकार ने 1533 करोड़ की व्यवस्था की है। इस बार अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 2776 करोड़ तथा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे को 3000 करोड़ दिया गया है। लखनऊ मेट्रो के लिए 425 करोड़ का बजट पास। मेडिकल टीचर्स अब 65 की आयु में रिटायर होंगे। अब दवाओ के लिए 587 करोड़ का प्रावधान किया। सरकार ने 2100 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। परिवार कल्याण के लिए 5840 करोड़ का बजट है तो सरकार की प्राथमिकता वाली समाजवादी पेंशन स्कीम को 2727 करोड़ व लैपटॉप स्कीम के लिए 100 करोड़ का बजट दिया गया है। इसके साथ ही यूपी का राजकोषीय घाटा 2.96 प्रतिशत पहुंचा। यूपी का ग्रोथ रेट 5 प्रतिशत तक पहुंच गया जो कि नेशनल ग्रोथ रेट से ज्यादा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 को किसान वर्ष घोषित किया जाएगा। प्रदेश में एक हजार एग्री जंक्शन स्थापित किए जाएंगे। सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान के लिए 1152 करोड़ रुपये की व्यवस्था की हंै। अगले वर्ष से गांवों को न्यूनतम 16 घंटे व शहरों को 22-24 घंटे बिजली आपूर्ति के मद्देनजर बजट में 25764 करोड़ की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही सरकार ने आजमगढ व लखीमपुर खीरी में कृषि विश्वविद्यालय बनाने की व्यवस्था की है। इसके साथ ही लखनऊ में 168 करोड़ से लागत से साईकिलिंग अकादमी बनेगी तो कानपुर के ग्रीन पार्क के लिए 33 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज जो बजट पेश किया, उसमें बुनियादी ढांचे के विकास को तरजीह देने की चाहत के साथ सरकार की कुछ सियासी मजबूरियों की अकुलाहट भी महसूस की जा रही है। इसी वजह से बजट के पिटारे में बुनियादी ढांचे के विकास की रफ्तार को धार देने के लिए आवश्यक संसाधनों के बंदोबस्त के साथ ही लोकलुभावन योजनाओं की ओर वापसी का इंतजाम है। अखिलेश सरकार 2015-16 में भी बुनियादी ढांचे के विकास पर फोकस जारी रखा है। समाजवादी पार्टी के सर्वाधिक असर वाले जिलों से गुजरने वाले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर तो सरकार की मेहरबानी जारी है। लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजना को रफ्तार देकर भी अखिलेश सरकार विकास को लेकर अपनी साख बढ़ाने की कोशिश की है। सड़क-सेतुओं के निर्माण व रखरखाव को लेकर सरकार दरियादिली दिखाने के साथ ही प्रदेशवासियों को कहीं ज्यादा बिजली देने के लिए ऊर्जा सेक्टर पर भी पिछले बजट की तरह इनायत बरकरार रही। बिजली के साथ अगले साल के बजट में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश है। मुख्यमंत्री की पहल को अमली जामा पहनाने के लिए कई शहरों में साइकिल ट्रैक बनाने के लिए भी सरकार संसाधन मुहैया कराएगी।

तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के कगार पर पहुंची अखिलेश सरकार अगले विधानसभा चुनाव में जनता के बीच अपनी जवाबदेही को लेकर भी सतर्क है। वह जवाबदेही जो पिछले साल सपा के घोषणा पत्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर विराम लगाने से उपजी थी। बीते वर्ष से बंद की गईं कन्या विद्या धन और लैपटॉप वितरण योजनाओं को बजट के जरिये नये स्वरूप में सामने लाकर अखिलेश सरकार वादे से मुकरने का दाग धोएगी। बजट में इन योजनाओं की वापसी के साथ ही इसी साल होने वाले पंचायत चुनाव को देखते हुए लोहिया ग्रामीण आवास योजना, लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना और जनेश्वर मिश्र ग्राम्य योजना को सरकार और ज्यादा तवज्जो देगी। समाजवादी पेंशन योजना नये बजट में भी अखिलेश सरकार की फ्लैगशिप स्कीम रहेगी।

कृषि की विकास दर में गिरावट से निपटने के लिए बजट में इस सेक्टर पर भी जोर होगा। कृषि क्षेत्र में नई योजना के एलान के भी कयास लगाये जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षणिक हब विकसित करने की योजना को बजट के जरिये रफ्तार दी जाएगी। लखनऊ में गोमती, गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा और वाराणसी में वरुणा नदी के तटीय विकास के लिए भी सरकार खजाना खोलेगी।