नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के कामकाज से छुट्टी लेकर चिंतन करने जा रहे हैं। एक के बाद एक चुनावों में हार का सामना कर रही कांग्रेस को आत्मचिंतन की जरूरत तो है, लेकिन पार्टी ने जिस शख्स से यह उम्मीद लगा रखी हो कि वो पार्टी की कमान पूरी तरह संभाल लेगा, फर्श से अर्श पर ले जाएगा, वो जब पार्टी से ब्रेक ले ले तो कोई क्या मतलब लगाए।

बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास कुछ दिनों पहले ही छुट्टी की अर्जी दी थी, जो अब मंजूर हो गई है। इसे अप्रैल की अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) की बैठक से जोड़ा जा रहा है, ताकि वह पार्टी के लिए आगे की नीतियों पर सोच विचार कर सकें।

राहुल ये काम बिना छुट्टी के भी कर सकते हैं, क्योंकि पार्टी में उनसे ऊपर और कोई नहीं सिवाय सोनिया के जिनका कहना है, “हमें इस बारे में जो कहना था, कह चुके हैं, अब हम इसमें कुछ और नहीं जोड़ना चाहते।”

लेकिन राहुल गांधी के छुट्टी पर जाने की असली वजह कुछ और है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आसपास एक लॉबी है, जिसे राहुल पसंद नहीं करते हैं। सोनिया की लॉबी उन्हें सलाह देती रहती है कि पुराने लोगों को हटाने पर राहुल गांधी पार्टी संभाल नहीं पाएंगे।

सूत्रों का कहना है कि राहुल आधे से अधिक महासचिवों को हटाना चाहते हैं। यही नहीं, वह कई राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को भी पद से हटाना चाहते हैं। राहुल महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को पिछले तीन सालों से पद से हटाना चाहते हैं, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाए।

सूत्रों का यह भी कहना है कि लोकसभा चुनावों में हार के तुरंत बाद राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते थे। राहुल का कहना है कि पहले उन्हें फैसले लेने दिया जाए, उसके बाद ही उनकी आलोचना होनी चाहिए। राहुल अपने युवा सहयोगियों सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा आदि के लिए ज्यादा बड़ी भूमिका चाहते हैं, ताकि इन्हें बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी जा सके।