भरतपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने समय को आरएसएस के अनुकूल बताते हुए हिंदुओं को एकजुट करने का प्रचारकों का आहवान किया और कहा कि हरेक की आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए।

भागवत ने यहां लोहागढ स्टेडियम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भरतपुर संभाग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए आज कहा, ‘मौजूदा समय हमारे अनुकूल है। परिस्थितियां हमारे पक्ष में हैं। लिहाजा, सभी कार्यकर्ता भारत को विश्वगुरु बनाने के महान कार्य में जी जान से जुट जायें।’

उन्होंने कहा कि ‘हिंदू समाज का एकीकरण का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए और इसे एक अभियान के तौर पर लिया जाए।’ भागवत ने कहा कि वे ‘भगवाध्वज के नीचे संकल्प लेकर गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले के स्वयं सेवकों को संगठित कर, जात-पात, ऊंच-नीच, शिक्षित-अशिक्षित में भेद किये बगैर सम्पूर्ण भाई चारे व सौहार्द से संघ की विचारधारा के अनुरूप सभी समाज के लोगों को एकजुट करने के कार्य में जुट जायें और हरेक की श्रृद्धा का सम्मान करें।’

उन्होंने कहा कि संघ का तात्पर्य ही एक ऐसी संस्कारशाला से है जहां सुसंस्कृत, संस्कारवान और इंसानियत से लबरेज नागरिकों को गढा जाता है। भागवत ने कहा कि भारत मां, हम सभी की मां है। भारतीय संस्कृति ही हिन्दू संस्कृति है। सनातन संस्कृति की रक्षा उसके संवर्धन का कार्य करना ही आरएसएस का मूल उद्देश्य है।

उन्होंने कहा कि सभी मिलजुल कर विविधता में एकता के आधार पर काम करें। भारत की अखण्डता का मतलब ही हम सभी का एक होना है। उन्होंने कहा कि संघ का मूल काम अच्छे व्यक्तियों का निर्माण करना है, इसलिए अधिक से अधिक युवाओं और बच्चों को संघ की शाखाओं से जोडो जिनके जरिए उनकी बुद्धि, विवेक और मन में देश के लिए, समाज के लिए काम करने की आदत बने।