लखनऊ:लैपटाप, कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता एवं अन्य लालीपाप योजनाओं के लिए पिछले बजट में कोई ठोस प्रावधान नहीं था, जिसके चलते इन योजनाओं को प्रदेश सरकार को बंद करना पड़ा। प्रदेश सरकार एक बार पुनः उपरोक्त योजनाओं की घोषणा करके प्रदेश की जनता के साथ छलावा कर रही है।

प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश का पिछला  2014-15 का बजट जो लगभग 2 लाख 74 हजार करोड़ रूपये का था, जिसमें स्वास्थ्य, बिजली सड़क, अनु0जाति/जनजाति, पिछड़े एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए भरपूर पैसे का प्रावधान था। लेकिन प्रदेश में व्याप्त अराजकता एवं प्रशासनिक अक्षमता के चलते बजट में प्रावधानित काफी पैसा उन मदों में खर्च ही नहीं हो पाया, जिसका मूल कारण प्रदेश सरकार का योजनाओं के प्रति उदसीन रवैया रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि जनता और जनता की मूलभूत सुविधाएं सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। 

प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के मद में 14377 करोड़ रूपये पिछले बजट में प्रावधान था लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरायी हुई हैं। न दवा, न चिकित्सा और न ही नये अस्पतालों का निर्माण हो रहा है जिसकी परिणति यह है कि 74-74 महिलाओं की नसबंदी करने के बाद सरकार उन्हें बेड नहीं उपलब्ध करा पायी और इसी तरह की घटनाएं रोजाना प्रदेश के हर जिले में घटित होती रहती हैं चाहे वह आंख के मोतियाबिन्द का आपरेशन हो, प्रसूति में दी जाने वाली सुविधाएं हों अथवा आम आदमी की सामान्य बीमारियों का इलाज हो, कहीं भी इलाज नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं पूरे बजट का पैसा न खर्च हो पाने के कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सड़क एवं बिजली, पानी की घोर अव्यवस्था और कमी के चलते आम आदमी त्रस्त है। आम जनता को आये दिन सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पड़ा है और प्रदेश की कानून व्यवस्था खराब हुई है और प्रदेश का विकास अवरूद्ध पड़ा हुआ है। 

प्रवक्ता ने कहा कि विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली समाजवादी पार्टी की सरकार जब बजट का ही पैसा नहीं खर्च पा रही है तो ऐसे में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ नये रोजगारों का सृजन कैसे हो सकता है? 

श्री अग्रवाल ने कहा कि जैसा कि अभी प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015-16 के बजट का आकार लगभग 3 लाख करोड़ रूपये के ऊपर रखने के संकेत दिये हैं। इस बजट में सरकार यह सुनिश्चित करे और प्रदेश की जनता को भी विश्वास में ले कि सरकार के पास जो संसाधन हैं उनके माध्यम से बजट में किये गये प्रावधानों को पूरा करने की इच्छाशक्ति और क्षमता भी है। इसके साथ ही सरकार इस एक श्वेतपत्र जारी करे कि पिछले बजट में भिन्न-भिन्न विभागों द्वारा कितना पैसा किन-किन मदों में खर्च किया गया और कितना खर्च नहीं कर पाये।