अहमदाबाद : विशेष सीबीआई अदालत ने यहां वर्ष 2004 के इशरत जहां और तीन अन्य की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में विवादित आईपीएस अधिकारियों डी जी वंजारा और पीपी पांडेय को आज जमानत दे दी। वंजारा को करीब आठ साल और पांडेय को 18 महीने जेल में गुजारने के बाद जमानत मिली है।

विशेष न्यायाधीश केआर उपाध्याय ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पांडेय और वंजारा को जमानत दी तथा उनकी रिहाई के लिए कड़ी शर्तें रखीं। अभियोजन पक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘ जमानत के लिए आवेदन मंजूर किया जाता है।’ अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि वंजारा की रिहाई सिविल सोसायटी को ‘खुली चुनौती’ हो सकती है।

जेल में निलंबन की स्थिति में रहते हुए सेवानिवृत्त होने वाले वंजारा सोहराबुद्दीन शेख, तुसलीराम प्रजापति और इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के मामलों में आरोपी हैं। उन्हें गुजरात में प्रवेश करने से रोका गया है लेकिन हर कामकाजी शनिवार को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का आदेश भी दिया गया है। उनके देश से बाहर जाने पर भी पाबंदी लगायी गयी है।

वंजारा करीब आठ साल बाद जेल से बाहर आएंगे। उन्हें सोहराबुद्दीन शेख मामले में 24 अप्रैल, 2007 को गिरफ्तार किया गया था। वह दो लाख रूपये का निजी मुचलका जमा करने के बाद जेल से बाहर आएंगे। इसी अदालत ने पांडेय को जमानत दी। वह जुलाई 2013 में अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद से जेल में बंद थे।

सीबीआई अदालत ने वर्ष 2004 में इस घटना के समय शहर के संयुक्त पुलिस आयुक्त रहे पांडेय को अपना पासपोर्ट जमा करने और बिना अनुमति के देश से बाहर नहीं जाने का भी निर्देश दिया। अदालत ने यह भी शर्त लगाई कि पांडेय कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे मामले की जांच प्रभावित हो सकती हो और वह इस मामले से जुड़े किसी गवाह को भी प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे। अदालती आदेश में कहा गया कि पांडेय हर गुरूवार को सीबीआई अदालत के सामने हाजिर होंगे।

अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को एक कथित मुठभेड़ में अपराध शाखा के दल ने मुंबई की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां, प्राणेश पिल्लै उर्फ जावेद शेख, अमजद अली राना और जीशान जौहर की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना के समय पांडेय संयुक्त पुलिस आयुक्त थे। सीबीआई का कहना है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी जिसकी साजिश गुजरात पुलिस और आईबी ने संयुक्त रूप से रची थी।

सुनवाई के दौरान, पांडेय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता निरूपम नानावती ने कहा कि इस मामले में एक अन्य आईपीएस अधिकारी के इशारे पर उनके मुवक्किल पर मामला दर्ज किया गया। सीबीआई की ओर से पेश लोक अभियोजक एलडी तिवारी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पांडेय इशरत जहां और अन्य की हत्या से जुड़ी साजिश में शामिल थे।