नई दिल्ली: देश में मुसलमानों की आबादी राष्ट्रीय औसत 18 प्रतिशत के विपरीत 2001-11 के दौरान 24 प्रतिशत बढ़ी है और इसके साथ कुल आबादी में समुदाय का प्रतिनिधित्व 13.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गया है। धार्मिक समूहों की आबादी पर जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश के सभी राज्यों में जम्मू-कश्मीर में सर्वाधिक मुस्लिम आबदी (68.3) प्रतिशत है। इसके बाद असम में 34.2 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 27 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।

वर्ष 1991 से 2001 के बीच मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर करीब 29 प्रतिशत थी। पांच प्रतिशत की आई गिरावट के बावजूद मुस्लिम आबादी में 24 प्रतिशत वृद्धि दर दशक (2001-11) के लिए 18 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कुल आबादी में मुसलमानों की आबादी सर्वाधिक तेज गति से असम में बढ़ी है। राज्य में 2001 में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का 30.9 प्रतिशत थी और बाद के दशक में यह बढ़कर 34.2 प्रतिशत हो गई है । असम पिछले तीन दशकों से बांग्लादेश से अवैध आव्रजन की समस्या का सामना कर रहा है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि डाटा अभी जनगणना महापंजीयक द्वारा संकलित किया जा रहा है और यह जल्द ही आधिकारिक तौर पर जारी किया जाएगा। मणिपुर एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मुसलमानों की आबादी कम होकर 8.8 प्रतिशत से 8.4 प्रतिशत हो गई है।

पश्चिम बंगाल एक और ऐसा राज्य है जहां बांग्लादेश से अवैध आव्रजन एक मुद्दा रहा है। इस राज्य में मुसलमानों की आबादी 2001 के आंकड़े 25.2 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 27 प्रतिशत हो गई। यह 1.8 प्रतिशत की वृद्धि है। यह दर मुस्लिम आबादी के लिए राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है।

उत्तराखंड में भी मुस्लिम आबादी में वृद्धि हुई है और यह आंकड़ा 2001-2011 के बीच 11.9 प्रतिशत से बढ़कर 13.9 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अन्य राज्यों में जहां कुल आबादी में मुसलमानों की आबादी में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, उनमें केरल (24.7 प्रतिशत से बढ़कर 26.6 प्रतिशत), गोवा (6.8 प्रतिशत से बढ़कर 8.4 प्रतिशत), जम्मू-कश्मीर (67 प्रतिशत से बढ़कर 68.3 प्रतिशत), हरियाणा (5.8 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत), दिल्ली (11.7 प्रतिशत से बढ़कर 12.9 प्रतिशत) शामिल हैं।