राज्यपाल ने न्यायमूर्ति डी0वाई चन्द्रचूड़ को मानद् उपाधि से सम्मानित किया, लखनऊ विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के दीक्षान्त समारोह में मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति डाॅ0 डी0वाई0 चन्द्रचूड़ को एल0एल0डी0 की मानद् उपाधि प्रदान की। समारोह में कला, शिक्षा, विधि, विज्ञान, वाणिज्य, ललित कला, आयुर्वेद आदि के छात्र-छात्राओं को उपाधि के साथ स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक भी वितरित किये गये। इस अवसर पर केन्द्रीय गृहमंत्री, श्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि, विश्वविद्यालय के कुलपति, डाॅ0 एस0बी0 निम्से, उपकुलपति, प्रो0 यू0एन0 द्विवेदी सहित कार्यपरिषद एवं विद्वत परिषद के सदस्यगण भी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के जीवन का नया अध्याय आरम्भ हो रहा है। दीक्षान्त समारोह वास्तव में पुस्तकीय ज्ञान के समाप्ति के बाद नये आकाश में उड़ान की शुरूआत है। सफलता उन्हीं को मिलती है जो कड़ी स्पर्धा में आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि नये सुधारों पर विचार करें तो प्रगति के नये रास्ते खुलते हैं।

श्री नाईक ने छात्राओं को ज्यादा स्वर्ण पदक मिलने पर प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरूआत है मगर छात्रों को भी और मेहनत करने की जरूरत है ताकि बेटे-बेटियाँ दोनों उन्नति करें। राज्यपाल ने व्यक्तित्व विकास के चार मंत्र बताते हुए कहा कि सदैव मुस्कुराते हुए चुनौतियों का सामना करें। दूसरे के अच्छे गुण का वर्णन करें और उन्हें आत्मसात करें। दूसरों की अवमानना करने से आप स्वयं बडे़ नहीं हो सकते तथा हमेशा यह सोचते रहें कि किसी कार्य को और बेहतर कैसे करें।

राज्यपाल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय ने अनेक ऐसे व्यक्ति दिये हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। लखनऊ अब शिक्षा का केन्द्र बन रहा है। मगर बढ़ते हुए शिक्षण संस्थाओं के साथ-साथ यह चिन्ता की बात है कि देश के 700 विश्वविद्यालय तथा 35,000 महाविद्यालयों में कोई भी शिक्षण संस्थान विश्व के श्रेष्ठतम श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारते हुए हमें अपने शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की जरूरत है।

मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, डाॅ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने दायित्व पर भी ध्यान देने की जरूरत है। देश, समाज, पड़ोस के प्रति भी कुछ दायित्व होते हैं। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं से यह सवाल करना चाहिए कि हम बेहतर विश्व बनाने के लिए अपने स्तर से क्या योगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो मानद् उपाधि उन्हें प्रदान की गयी है उसे वह उन्हें समर्पित करना चाहते हैं जो न्याय चाहते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास एवं उपब्धियाँ उल्लेखनीय हैं। उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रचनात्मक कार्य और सकारात्मक सोच के आधार पर कार्य करें तो ज्यादा विकास होगा। स्वयं केन्द्रित न होकर सामूहिक भावना से काम करने की जरूरत है। शिक्षा के साथ संस्कार भी मिलना चाहिए। शिक्षा से समग्र विकास किया जा सकता है। स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद एवं अशफाक उल्ला के बलिदानों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमें उनसे सीख लेते हुए पे्ररणा प्राप्त करने की जरूरत है। उन्होंने उग्रवाद और आतंकवाद की बढ़ती हुई घटनाओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को आर्थिक शक्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति बनाने में अपना योगदान दें।