नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम उम्मीदवार पद के लिए किरण बेदी के नाम को बेशक आरएसएस से हरी झंडी मिल गई हो, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में अभी भी मतभेद बना हुआ है। पार्टी के नेता बेदी के नाम को लेकर दो हिस्सों में बंट गए हैं। किरण बेदी की पार्टी में भूमिका के बारे में पार्टी सोमवार को फैसला कर सकती है। पार्टी की सोमवार को कार्यकारणी की बैठक होनी है। महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चुनाव से पहले सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। जहां कुछ सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में भी भाजपा उसी आधार पर चलेगी, वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में लीक से हटकर सीएम उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है। 

पार्टी के कुछ नेता इस फैसले का विरोध कर रहे हैं कि बाहरी नेता को चुनाव से पहले पार्टी की कमान कैसे दी जा सकती है। विरोध करते हुए नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी ने भी रामलीला मैदान की रैली में भी कहा था कि भाजपा बिना सीएम उम्मीदवार की घोषणा के चुनाव लड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि अगर बेदी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाता है तो उसे पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान सौंपी जा सकती है। 

सीएम उम्मीदवार की घोषणा का पक्ष करते हुए पार्टी नेताओं ने एक सर्वे का हवाले देते हुए कहा कि अगर पार्टी सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती है तो पार्टी के हिस्से में जाने वाले कुछ फीसद मत कट सकते हैं। ऎसे में पार्टी ऎसी कोई रिस्क नहीं लेने वाली हैं क्योंकि दिल्ली में भाजपा और आम के बीच कड़ी टक्कर है। 

गौरतलब है कि गुरूवार को अन्ना आंदोलन में केजरीवाल की सहयोगी रही पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भाजपा की सदस्यता हासिल की थी। इसके एक दिन बाद किरण बेदी ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। वहीं आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता शाजिया इल्मी भी भाजपा में शामिल हो गई।