पूछा–हर बार पति ही क्यों करे समझौता?

नई दिल्ली। दशकों से चली आ रही रीति पर सवालिया निशान लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आखिर हर बार वैवाहिक कलह में होने वाले विवाद की सुनवाई को लेकर पतियों को ही क्यों भागना पड़ता है। अदालत में होने वाले फैसलों को लेकर हर बार यह किया जाता है कि अदालत महिलाओं की सुविधा अनुसार उन्हीं के क्षेत्र में सुनवाई के लिए केस को ट्रांसफर कर देती है। जिससे पतियों को भागा-दौड़ी करनी पड़ती है।

गुरूवार को मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तु और न्यायाधीश एके सिकरी के बेंच ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट महिलाओं की दलीलों पर हमेशा नरमी से पेश आती है और उनकी सुविधा अनुसार ही मुकदमे को उनके गृह क्षेत्र में ट्रांसफर कर देती है जो कहीं न कहीं पतियों के लिए परेशानी का सबक बन जाता है। 

इस बारे में फैसला लेते हुए दोनों न्यायाधीशों की बेंच ने कहाकि अब ऎसे विवादों पर केस ट्रांसफर करने को लेकर मेरिट पर फैसले किए जाएंगे और उसके बाद फैसला किया जाएगा कि केस को कहां ट्रांसफर किया जाए। न्यायिक पीठ ने यह फैसला गुरूवार को बैतुल मध्य प्रदेश में रहने वाली महिला की अर्जी को खारिज करते हुए लिया। इस अर्जी में महिला ने उसके केस को गाजियाबाद से बैतुल में ट्रांसफर करने की मांग की थी।