लखनऊ: ईदगाह एैशबाग लखनऊ में जुलूस मदहे सहाबा रजि0 की तैय्यारियों का जायजा लेने के लिए एक मीटिंग आयोजित हुई जिसमें उलमाक्राम और अन्य विभिन्न अंजुमनों के जिम्मेदारों ने शिरकत की। मीटिंग की अध्यक्षता मजलिस तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-सहाबा रजि के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी ने की।

मीटिंग में मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी ने जुलूस की तैय्यारियों पर अपने इत्मिनान का इज्हार करते हुए कहा कि यह जुलूस जोकि हमें बहुत कुर्बानियों और कोशिशों के बाद हासिल हुआ है, इसकी हिफाजत हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होने प्रशासन पर जोर दिया कि इस अवसर पर उच्च से उच्च प्रबंध को यकीनी बनाया जाए और जो व्यक्ति जुलूस में रुकावट पैदा करने का प्रयास करे उसके विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यरवाई की जाए।

मीटिंग को खिताब करते हुए इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली काजी शहर लखनऊ ने कहा कि जुलूस मदहे सहाबा रजि0 एक ऐतिहासिक जुलूस है इसमें सब मुसलमानों को अमन व शान्ति के साथ लाखों की संख्या में शरीक होना चाहिए। जुलूस अपने तय समय सुबह 09 बजे अमीनाबाद पार्क से रवाना होकर मौलवीगंज, नक्खास होता हुआ ईदगाह एैशबाग लखनऊ में खत्म होगा।

उन्होंने अवाम से अपील की कि जुलूस के दौराना केवल मजहबी नारा ही लगायें और कोई भी एैसी बात न कही जाए जिससे किसी भी व्यक्ति या जमाअत को तकलीफ होती हो और जुलूस के दौरान कल्मा और दुरूद शरीफ पढ़ते हुए चलें और नमाज की पाबंदी को भी यकीनी बनायें। मौलाना ने कहा कि ईदगाह लखनऊ में जुहर की नमाज 02 बजे और अस्र की नमाज 4:30 बजे होगी। इस अवसर पर ईदगाह में एक अजीमुश्शान ”जलसा सीरतुन्नबी सल्ल0 व सीरत सहाबा रजि0 और तहफ्फुज-ए-शरीअतÓÓ आयोजित किया जायेगा। जलसे को मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी, मौलाना ताकिर रशीद फरंगी महली, जफरयाब जीलानी एडवोकेट और मुहम्मद अहमद खाँ अदीब सम्बोधित करेंगें और जुलूस का शानदान स्वागत भी होगा।

मीटिंग को सम्बोधित करते हुए ऑल इण्डिया सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मुश्ताक ने अंजुमनों से अपील की कि अपने मोहल्ले से झण्डे खुले हुए न लायें। मौलाना अब्दुल अजीम फारूकी ने कहा कि कुरा अंदाजी में जिस अंजुमन को जो नम्बर मिला है उसकी तरतीब को जुलूस में कायम रखें। और औरतों का जुलूस में शरीक होना मना है। मीटिंग में मुहम्मद अहमद खाँ अदीब, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी, मौलाना अब्दुल अजीम फारूकी, कारी दावूद, मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी, मौलाना अब्दुर्रहमान फारूकी, मौलाना अब्दुल बारी फारूकी, मौलाना सुफयान निजामी, मुहम्मद फारूक खाँ और कारी सिद्दीक़ सीतापुरी शरीक थे।