लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश  अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव जयन्त चौधरी द्वारा किसानों के हितों को ध्यान में रखकर एक प्राइवेट बिल पेश  किया गया था जिसे इनकी पहल को देखते हुये तथा किसान हितों को ध्यान में रखकर पूर्व केन्द्र सरकार ने काफी विचार विमर्श  के बाद संसद में एक भूमि अधिग्रहण सरकारी बिल पारित किया था परन्तु वर्तमान केन्द्र सरकार ने कानून में संषोधन करके औधौगिक विकास के नाम पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों की भूमि जबरन अधिग्रहण करने का नया रास्ता खोला है।

श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने मिलकर जबरन किसानों की भूमि हथियानें के लिए औद्यौगिक परियोजनाएं, प्रा0 पब्लिक पार्टनरशिप, ग्रामीण आवास व गरीबों के आवास से सम्बन्धित परियोजनाएं तथा सामाजिक क्षेत्र की अन्य परियोजनाओं को नए कानून में जोड़ने से किसानों के हितों की अनदेखी ही की गयी है क्योंकि पूर्व में भी दादरी में गैस संयत्र के नाम पर किसानों को भूमिहीन करके उनकी जमीनों को अधिग्रहण कर लिया गया परन्तु अभी तक गैस संयत्र तैयार नहीं हुआ इससे साबित होता है केन्द्र सरकार कानून में परिवर्तन करके किसानों की जमीनों पर पूंजीपतियों का कब्जा कराना चाहती है।

चौहान ने आगे कहा कि इस अध्यादेश  से सरकारे औने पौने दामों में किसानों की जमीन अधिग्रहण करके बिल्डरों को तो फायदा पहूंचायेगी परन्तु किसानों को मुआवजा तथा पूर्नवास पैकेज नहीं दिया जायेगा जिससे किसान वर्ग आत्महत्या करने पर मजबूर होगा। इस अध्यादेश  से फार्म हाउस तथा जमीन घोटालों को बढ़ावा मिलेगा फलस्वरूप भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढे़गा और प्रदेश  में भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी रहेगा। राष्ट्रीय लोकदल इस अध्यादेश  का घोर विरोध करता है। किसान हितैशी   होने के नाते राष्ट्रीय लोकदल इसको बर्दाष्त नहीं करेगा और आन्दोलन करने को बाध्य होगा।