दारूल उलूम फंरगी महल में ‘‘जलसे सीरतुन्नबी व तहफ्फुजे शरीअत’’ का आयोजन

लखनऊ: दारूल उलूम फरंगी महल में माह-ए-रबी उल अव्वल की मुनासिबत से ‘‘जलसे सीरतुन्नबी (सल्ल0) व तहफ्फुजे शरीअत’’ का आयोजन किया गया। इस्लामी सेन्टर आफ अमेरिका के अध्यक्ष मौलाना तारिक रशीद फरंगी महली ने कहा कि आप स0 अच्छे अख़लाक के हामिल थे। खुदा पाक ने आप स0 की सीरत पाक को (उसवा-ए-हस्ना) इन्सानी जीवन के मार्गदर्शन के लिए नमूना करार दिया है। आप स0 ने अपनी हयात में ही अपने अच्छे और सच्चे सहाबाक्राम रजि0 की वह पवित्र जमात तैय्यार की जिसके हर फर्द ने अपने आक़ा स0 का हर पैग़ाम पूरी दुनिया में फैलाया। यही वजह है कि मुसलमान इस जमात से भरपूर मुहब्बत करते हैं।

उन्होंने कहा कि तमाम सहाबाक्राम रजि0 रसूल पाक स0 के इश्क का पैकर थे। इस्लाम की दावत के लिए हम को नबी स0 की सीरत, खुलाफा-ए-राशिदीन, अहले बैत और तमाम सहाबाक्राम रजि0 के हालात का अध्ययन करना जरूरी है। उन्होंने घरवालों और अपनी महफिलों में सीरते पाक और सहाबाक्राम रजि0 के हालात पढ़ने और सुनाने की सलाह दिया ताकि नई पीढ़ी को भी जानकारी हो सके।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया का हर देश अपनी अपनी समस्याओं से परेशान है। कहीं आर्थिक, कहीं राजनैतिक, कहीं उच्च व्यवहार की कमी है, लोग परेशान हैं। उनकी परेशानियों का समाधान अधिकारियों के पास नही है। इस प्रकार के वातावरण को केवल शरीअत-ए-मुहम्मदी के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। क्यों कि इसी में हिदायत है। यह इन्सान के दिल व दिमाग़ को प्रभावित करती है बाद में उसका सर झुकाती है। जलसे को मौलाना हारून निजामी ने भी खिताब किया।

जलसे का आरम्भ मुफ्ती अतीकुर्रहमान की तिलावत कलाम पाक से हुआ। नात पाक का नजराना दारूल उलूम फरंगी महल के तालिब इल्म ऐजाज अहमद ने पेश किया। जलसे का अन्त मौलाना तारिक रशीद की दुआ पर हुआ।