नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा कदम उठाते हुए ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलों, ऑनलाइन कॉन्टेंट प्रोवाइडरों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने की अधिसूचना जारी की है। बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन टीवी से अधिक जरूरी है। लिहाजा अब सरकार ने ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ या कॉन्टेंट देने वाले माध्यमों को मंत्रालय के तहत लाने का बड़ा फैसला लिया है।

अभी तक हैं आज़ाद
बता दें कि वर्तमान में डिजिटल कंटेंट के नियमन के लिए कोई कानून या फिर स्वायत्त संस्था नहीं है। प्रेस आयोग प्रिंट मीडिया के नियमन, न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन और एडवर्टाइज़िंग के नियमन के लिए एडवर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है। जबकि फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्वायत्त नियमन की मांग
वहीं पिछले महीने शिर्ष अदालत ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्वायत्त नियमन की मांग वाली याचिका को लेकर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस भेजा था। इस याचिका में कहा गया था कि इन प्लेटफॉर्म्स के चलते फिल्ममेकर्स और आर्टिस्ट्स को सेंसर बोर्ड के डर और सर्टिफिकेशन के बिना अपना कंटेंट रिलीज करने का अवसर मिल गया है।

हो चूका है विवाद
गौरतलब है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, जैसे हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम पर प्रसारित हुई कई फिल्मों, सीरीज आदि पर विवाद हो चुका है। साथ ही ये भी मांग की जा रही थी इस पर निगरानी और विवादित कंटेंट पर अंकुश लगाने के लिए सरकार कोई कदम उठाए।