लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ आर्थिक संकट के नाम पर कर्मचारियों व पेंशनर्स के महंगाई भत्ते व अन्य विशेष भत्तों की बढ़ोतरी पर रोक लगाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। महासंघ ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार कर वापस लेने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि कोविड 19 के कारण लाकडाउन के चलते आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सरकार ने कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के महंगाई भत्ते व अन्य विशेष भत्ते में बढ़ोतरी पर जुलाई 2021 तक रोक लगा दी है। जिसके अनुसार कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को जनवरी,2020, जुलाई,2020 व जनवरी,2021 में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। जिससे कर्मचारियों व पेंशनर्स को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसपी सिंह व उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा ने बताया की कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना लिए गए इस निर्णय से कोरोना योद्धाओं सरकारी कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा और कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग पर भी प्रभाव पड़ सकता है।उक्त द्वय नेतागण ने बताया है कि निर्णय में मजे़दार बात यह है कि सरकार ने इस निर्णय को जनवरी,2020 से लागू करने का ऐलान किया है और जुलाई 2021 के बाद भी एरियर का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस निर्णय का प्रभाव एचआरए ,नगर प्रतिकर भत्ता व इस दौरान रिटायर होने वाले कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ेगा। जिसको किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

नेताद्वय ने कहा कि सरकार ऐसे फैसले लेने से पहले सरकार कर्मचारी यूनियनों व फेडरेशनों से परामर्श करने की ज़हमत तक नहीं उठाती हॆ, जो सरकार की तानाशाही व कर्मचारी विरोधी चरित्र को ही दर्शाता है। नेताद्वय ने कहा कि कोरोना महामारी के दॊरान कर्मचारी ही मैदान में हैं। सरकारी कर्मचारियों ने हज़ारों करोड़ रिलीफ फंड में दान भी दिया है। इसके बावजूद कर्मचारियों व पेंशनर्स का महंगाई भत्ते पर रोक लगाना और सामान्य स्थिति बहाल होने पर एरियर का भुगतान न करना सरासर ग़लत है। इस फ़ॆसले का विरोध उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के नेतृत्व में किया जाएगा।

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसपी सिंह व उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा ने सरकार से कोरोना महामारी के खिलाफ अपर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के बावजूद अपनी जान जोखिम में डालकर निडरता से मैदान में डटे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के महंगाई भत्ते पर रोक लगाने की बजाय इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए मुट्ठी भर पूंजीपतियों से संसाधन जुटाने के उपाय करने की जोरदार मांग की है। उन्होंने बताया कि ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार देश के 63 अरबपतियों की संपत्ति 2018- 19 के केन्द्रीय आम बजट जो कि 24,42200 करोड़ है, से भी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि ऊपर के केवल 10 प्रतिशत लोगों के पास 77 प्रतिशत संपदा है और ऊपर के 1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास नीचे के 70 प्रतिशत लोगों से 4 गुना से ज्यादा संपत्ति है । नेताद्वय ने कहा कि सरकार को आज की ज़रुरतों के लिए आवश्यक संसाधन उन 5 प्रतिशत अति अमीर लोगों से लेने चाहिए, जिन्होंने सरकार के अनुचित व नाजायज़ संरक्षण के माध्यम से प्रत्यक्ष कर, संपत्ति कर व मजदूरों के अधिकारों पर हमला करके इसे इकट्ठा किया है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने का अधिकार केवल केंद्र व राजय की सरकार के पास ही है।

नेताद्वय ने आगे कहा हॆ, कि वॆश्विक महामारी कोविड-19 से उत्पन्न विशेष परिस्थितियों का पुनः बहाना बनाकर लाखों लाख कर्मचारियों और पेशन भोगियों के भत्तों को रोका जाने से सरकार का जनविरोधी चेहरा सामने आ गया हैं।एक तरफ समस्त केन्द्रीय व राज्य कर्मचारी देश में व्याप्त महामारी से लड़ने के लिए कृत संकल्प हैं और जान हथेली पर रख कर देश सेवा में लगे हैं। वहीं सरकार द्वारा जो वर्ष में दो बार महंगाई भत्ते बढ़ाती है उसे वर्ष 2021 तक रोक कर रखना कर्मचारियों का मनोबल तोड़ना व आर्थिक रूप से कमजोर करने वाला कदम है।