आरबीआई की मौद्रिक नीति पर श्री अतुल कुमार गोयल ,एमडी और सीईओ, पीएनबी के विचार

दिल्ली: आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति में कमी एवं आगे और गिरावट की उम्मीद को देखते हुए बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप दरों और रुख को अपरिवर्तित रखा है| वित्त वर्ष 24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के विकास अनुमान को 6.5% पर बनाए रखना दर्शाता है कि आरबीआई आर्थिक विकास अनुमानों के बारे में आशावादी है। वित्त वर्ष 24 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान में कमी भी आशावाद का संकेत देती है।

आरबीआई द्वारा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को अपनी स्वयं की उधार सीमा निर्धारित करने की अनुमति देने की घोषणा ने बैंकों को बहुत आवश्यक लचीलापन प्रदान किया है। आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग में फर्स्ट लॉस डिफॉल्ट गारंटी (एफएलडीजी) व्यवस्था की अनुमति के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करने का फैसला किया है, जो डिजिटल लेंडिंग व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देगा। इसी तरह, स्ट्रेस्ड एसेट्स के रिज़ॉल्यूशन के दायरे को विस्तृत करने के लिए फ्रेमवर्क का प्रस्ताव यह दर्शाता है कि आरबीआई विनियमित संस्थाओं में सामंजस्य स्थापित करने के सही मार्ग पर है।

आरबीआई ने अधिक सक्षम बनाने और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय बिल भुगतान प्रणाली प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके इसके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाना जारी रखा है| इसके अलावा, रूपे डेबिट कार्ड और प्री-पेड कार्ड का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कार्रवाई, कार्ड के दायरे को व्यापक बनाने और विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों को सुविधा में और बढ़ावा करना, यह आरबीआई के सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है।

कुल मिलाकर यह समान रूप से संतुलित दृष्टिकोण वाली एक क्रिया उन्मुख नीति प्रतीत होती है। हालांकि, गतिशील विश्व आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई सतर्क रहेगा।