कोलकाता: कोविड-19 के संक्रमण के चलते देशभर मे घोषित लॉकडाउन के कारण चाय बागान में उत्पादन कार्य गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। उद्योग के अनुमान अनुसार लॉकडाउन के कारण देश में चाय उत्पादन में 80 मिलियन किलो की कमी होने से इसकी लागत में प्रति किलो 60 से 70 रुपये तक बढ़ोतरी हुई है।

अखिल भारतीय चाय व्यापारी संघ (फेटा) के अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा कि, भारत में चाय का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,300 मिलियन किलोग्राम है। लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण चाय बागानों में कम श्रमिक कार्यरत रहे थे, जिससे मार्च और अप्रैल में उत्पादन प्रभावित हुआ। नतीजतन, वर्ष 2020 में चाय का उत्पादन अंदाजित 80 मिलियन किग्रा कम रहेगा, जिससे चाय उद्योग को 2,000 करोड़ का नुकसान होगा।

व्यापारी संघ ने देश में चाय उत्पादन, आपूर्ति के साथ-साथ चाय की मांग पर लॉकडाउन के प्रभावों का विस्तृत मूल्यांकन किया है।

भारत में एक वर्ष में चाय की खपत लगभग 1,080 मिलियन किग्रा है, यानी एक महीने में चाय का उपभोग लगभग 90 मिलियन किलोग्राम है। घर के बाहर चाय के स्टॉल, रेस्तरां, कैफे, होटल, कार्यालयों और उद्योगों में चाय की खपत लगभग 40 प्रतिशत है, यानी प्रति माह 36 मिलियन किलोग्राम चाय का उपभोग होता है। लॉकडाउन के कारण यह सभी छोटे-बड़े प्रतिष्ठान दो महीनों के लिए बंद थे, जिससे चाय की खपत में 70 मिलियन किलोग्राम से अधिक की गिरावट दर्ज हुई।

शाह ने कहा कि, खुदरा बाजार में काम करने वाले चाय पैकर्स का बिक्री का डाटा घर के बाहर चाय की खपत में गिरावट की पुष्टि करता है।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान चाय की घरेलू खपत बढ़ी होगी, लेकिन घर के बाहर की खपत में गिरावट की भरपाई के लिए यह पर्याप्त नहीं है।

फेडरेशन ने कहा कि मौजूदा हालात के कारण चाय की कीमतें पिछले साल की तुलना में अधिक हो सकती है, लेकिन फार्म गेट कीमत (उत्पाद की शुद्ध कीमत) में प्रति किलो 60-70 रुपये की औसत वृद्धि वास्तविक मांग-आपूर्ति परिदृश्य को प्रतिबिंबित नहीं करती है।

शाह ने आगे कहा कि, चाय के लिए तर्कहीन दलील अनुचित है क्योंकि बाजार की गतिशीलता किसी भी महत्वपूर्ण आपूर्ति व मांग के असंतुलन को प्रतिबिंबित नहीं करती। मांग और आपूर्ति बड़े पैमाने पर संतुलन में हैं।