लखनऊ

कोरोना त्रासदी के बाद की स्थितियां और भयावह होने वालीं हेै: कैलाश सत्यार्थी

एमिटी इंमीनियंट इंटरनेट संगोष्ठी श्रंखला के तहत नोबेल विजेता के साथ कोविड-19 संक्रमण पर चर्चा

लखनऊ: एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा कोविड संक्रमण के दौरान एमिटी इंमीनियंट इंटरनेट संगोष्ठी श्रंखला के तहत आज नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्यरत समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ वार्ता का आयोजन किया गया।

वार्ता के आरम्भ में एमिटी समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक के चौहान ने एमिटी इंटरनेशनल स्कूलों की अध्यक्षा डॉ. (श्रीमती) अमिता चौहान के साथ कैलाश सत्यार्थी का अभिवादन करते हुए कहा कि कैलाश जी ने अपने प्रयासों से बाल अधिकारों को लेकर पूरे विश्व समुदाय की सोच को परिवर्तित किया है। डा. चौहान ने कहा कि यहां हम एमिटी परिवार में भी सभी सदस्यों को आपदाकाल को भी अपने कठिन श्रम से अवसर में बदलने के लिए तैयार करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत एक विश्वशक्ति के रूप में स्थापित होगा। मैं अपने एमिटी परिवार के सहयोगियों से कहना चाहता हूं कि इस कोविड-19 संक्रमण की त्रासदी से उबरकर कर हम अपने लक्ष्य को अनुमानित समय से पहले ही प्राप्त कर लेंगे। डा. चौहान ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारे संस्कार हैं। हमारे लीडरों, कार्यकर्ताओं, युवाओं और लोगों की क्षमता से विश्व परिचित हैं। निश्चय ही हम विश्वशक्ति के रूप में दुनियां का मार्गदर्शन करगें।

”डॉ. असीम चौहान, चांसलर, एमिटी यूनिवर्सिटी, एडिसनल प्रेसीडेंट, रितनंद बालवैद एजुकेशन फाउंडेशन (आरबीईएफ) , ने कहा कि बाल अधिकारों के लिए कैलाश जी द्वारा किए जा रहे प्रयासों और उनके विचार से आने वाले सैकडों सालों तक हम सभी को दिशा दिखाएंगे। डा. असीम चौहाने ने कहा बाल संरक्षण और अधिकारों की लड़ाई में आप एक फरिश्ता हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय में हमारे संस्थापक अध्यक्ष, डॉ. अशोक चौहान का बिल्कुल स्पष्ट निर्देश है कि एक एमीटियन के तौर पर हरपल लोगों की जरूरत मंदों की सहायता के लिए तैयार रहें। इसी पर एमिटी आधारित है, वह एक टीम के रूप में काम कर रही है, दूसरों की देखभाल कर रही है और समाज की मदद कर रही है। इस दौरान हमने न केवल “पीएम केयर फंड” को पर्याप्त मात्रा में योगदान दिया है बल्कि एमिटी रसोई के माध्यम से लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया है।

वार्ता के दौरान अपने विचार रखते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, आज संपूर्ण विश्व एक खतरनाक महामारी से लड़ रहा है और सूचना माध्यमों की व्यापकता से हम सभी इस बात से वाकिफ है। यह दौर एक त्रासदी का है जिससे संसार के गरीब और अमीर दोनों जूझ रहे है। उन्होंने कहा कि आज हमें पहले से कहीं अधिक सद्भावना की, पहले से कहीं अधिक एकता की और साथ खड़े रहने की आवश्यकता है। पहले भी महामारियां आईं और गईं है पर जब भी संकटकाल के दौरान मानवता ने इस भावों को अपनाया है मानवता पहले से कहीं अधिक मजबूत होकर उभरी है। समाज में श्रमिकों के पलायन की समस्या को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आज संसार में कमजोर तबका और कमजोर हुआ है। गरीब का जीवन इस दौर में सबसे ज्यादा खतरे में है और निसंदेह कोरोना त्रासदी के गुजरने के बाद स्थितियां और भयावह होने वालीं हेै। उन्होंने कहा दुनियां में लगभग 300 मिलियन स्कूल गोईंग बच्चे हैं जिन्हें स्कूल में भोजन उपलब्ध कराया जाता है। आज स्कूल बंद है। दुनिया में भारत सहित कई देश कोशिक कर रहे हैं कि उन बच्चों तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचे परन्तु यह प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। हमारे यहां लाखों प्रवासी श्रमिक और परिवार हैं जो कि घुमंतू हैं वो आज बडे खतरे में हैं क्यूकि वो आज सरकारों की प्राथमिकता में नहीं है। उन्होंने कहा कि आज हमें उन बच्चों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अंत में एमिटी विश्वविद्यालय गुरूग्राम के वाइस चांसलर प्रो. पीबी शर्मा ने सभी अतिथियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि, आज हम देख रहे हैं कि सूक्ष्म जीवणुओं के सामने हमारी आणविक शक्ति भी कुछ नहीं है। कोरोना वायरस के संक्रमण ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम कैसे मानवता के लिए सुरक्षित भविष्य के निर्माण हेतु नई रणनीति पर विचार करें। इस संदर्भ में हामारी भारतीय वैदिक संस्कृति जो कि हमें प्रकृति के साथ समन्यवय करके जीवन चलाने का संस्कार देती है की महत्ता उजागर हुई है। आज भारतीय वसुधैव कुटुंबकम का संदेश विश्व को नई दिशा दिखाने में सहायक सिद्ध होगा।


कार्यक्रम के दौरान लंदन, ताशकंद, सिंगापुर, न्यूयॉर्क, एम्सटर्डम, दुबई और अबू डाभी सहित भारत के विभिन्न एमिटी परिसरों के निदेशकों और प्रमुखों ने और एमिटी परिवार, छात्रों, कर्मचारियों और उनके संकाय सदस्यों ने भी वेबिनार में भाग लिया।

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