फ़ेसबुक के कर्मचारी नाराज़, चलाया आनलाइन अभियान

तेहरान: फ़ेसबुक के कर्मचारियों ने चीफ़ एग्ज़ेक्टिव मार्क ज़ुकरबर्ग की ओर से अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की पोस्ट पर कठोर कार्यवाही न किए जाने का खुला विरोध कर दिया और काम छोड़कर घरों में बैठ गए और वहां से ट्वीटर पर अपना विरोध दर्ज कराया।

ईरान के एक न्यूज़ पोर्टल ने रोयटर के हवाले से खबर दी है कि फ़ेसबुक के लिए काम करने वाले दर्जनों लोगों ने विभिन्न प्लेटफ़ार्म्ज़ पर अपनी पोस्ट्स में अमरीकी राष्ट्रपति की विवादित पोस्टों पर किसी तरह की कार्यवाही न किए जाने के फ़ैसले पर मार्क ज़ुकरबर्ग की आलोचना की।

ज्ञात रहे कि ट्वीटर ने ट्रम्प की विवादित पोस्ट्स पर फ़ैक्ट चेक का लेबल लगा दिया था।

फ़ेसबुक के कुछ अहम अधिकारियों ने भी आनलाइन विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यह पहला मौक़ा है कि फ़ेसबुक के स्टाफ़ ने सार्वजनिक रूप से अपने सीईओ की इस तरह खुलकर आलोचना की है। इनमें एक कर्मचारी के ट्वीट पर हज़ारों लोगों ने प्रतिक्रिया दी जिसमें रिएक्ट कोड लाइब्रेरी के 7 इंजीनियर भी शामिल हैं जो फ़ेसबुक एप्स को सपोर्ट करते हैं।

उन्होंने ट्वीटर पर अपने संयुक्त बयान में कहा कि फ़ेसबुक की ओर से हाल ही में हिंसा पर उकसाने वाली पोस्ट्स पर कोई एक्शन न लेने का फ़ैसला किया गया, हम फ़ेसबुक मैनेजमेंट पर ज़ोर देते हैं कि वह कार्यवाही करे।

फ़ेसबुक के एक वरिष्ठ अधिकारी रयान फ़्रीटस ने अपने ट्वीट में लिखा कि मार्क ज़ुकरबर्ग ग़लत कर रहे हैं मैं उनकी सोच बदलने के लिए हर संभव कोशिश करूंगा, मेरे साथ 50 से अधिक लोग हैं जो अंदरूनी बदलाव लाना चाहते हैं।

ज्ञात रहे कि मई के आख़िर में मिनेसोटा में 46 साल के अफ़्रीक़ी मूल के जार्ज फ़्लाइड की पुलिस के हाथों निर्मम हत्या के बाद पूरे अमरीका में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

इस मामले पर ट्रम्प ने एक ट्वीट किया था जिसे ट्वीटर ने कह कहते हुए छिपा दिया कि इसमें ट्वीटर के नियमों का उल्लंघन किया गया है। जबकि फ़ेसबुक ने इस पोस्ट पर किसी तरह की कार्यवाही नहीं की।

ज़ुकरबर्ग ने बाद में एक पोस्ट में कहा कि वह ट्रम्प के शब्दों को अच्छा नहीं समझते मगर इससे कंपनी की हिंसा भड़काने के मामलों संबंधी नीति का हनन नहीं होता और लोगों को जानना चाहिए कि सरकार ताक़त के इस्तेमाल की किस तरह योजना बना रही है।