लखनऊ

योगी सरकार कमाई, दवाई, पढाई पर लाए श्वेत पत्र: आइपीएफ

  • चार साल के सरकारी जश्न पर आइपीएफ ने उठाए प्रश्न
  • घोषणानाथ है मुख्यमंत्री, झूठ पर पर्दा डालने के लिए विज्ञापन पर बहाए करोड़ों रूपए

लखनऊ: योगी सरकार के चार साल पूरे होने पर मनाए जा रहे सरकारी जश्न पर सवाल उठाते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच, वर्कर्स फ्रंट ने सरकार से कमाई, दवाई और पढाई पर श्वेत पत्र लाने की मांग की है और आज ‘जश्न पर प्रश्न’ पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किए। पूरे प्रदेश के लगभग सभी जिलों में 181 वूमेन हेल्पलाइन महिला कर्मियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए सरकार से पूछा कि वे बताए कि उन्हें क्यो बेरोजगार किया गया और क्यों नहीं उनके बकाये वेतन तक का भुगतान किया जा रहा है। युवा मंच से जुड़े नौजवानों ने आनलाइन बैठक कर सरकार के चार लाख सरकारी नौकरियां देने के दावे को गलत बताते हुए कहा कि इसी तरह की फर्जी बयानबाजी के कारण मुख्यमंत्री को दो बार रोजगार के सवाल पर किए अपने ट्वीट हटाने पड़े है। कार्यक्रमों के बारे में जानकारी आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने प्रेस को दी।

संवाद कार्यक्रमों में वक्ताओं ने कहा कि अपनी कामयाबी के झूठे विज्ञापनों पर सरकार प्रदेश की जनता का जितना पैसा लूटा रही है उसे यदि सही मायने में सरकार ने विकास कार्यो पर खर्च किया होता तो इस तरह के प्रचार की उसे जरूरत ही नहीं होती। सच्चाई तो यह है कि आरएसएस का सरकार चलाने का योगी माडल एक विफल माडल साबित हुआ है और मुख्यमंत्री सिर्फ घोषणानाथ बन कर रह गए है। पूरे प्रदेश में अपराधियों, हिस्ट्रीशीटरों के हौसले बुलंद है और सरकार का इकबाल खत्म हो गया। किसान आत्महत्या कर रहे है गन्ना का इस सरकार के कार्यकाल में एक रूपए भी दाम नहीं बढ़ाया गया और उनका करोड़ो रूप्ए का भुगतान नहीं हुआ। धान और गेहूं की सरकारी खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और बुदंलखण्ड़ जैसे क्षेत्र आज भी पानी के लिए तरस रहे है। बुनकरी समेत छोटे मझोले उद्योग तबाह हो गए।

वक्ताओं कहा कि रोजगार देने की कौन कहे 181 व महिला समाख्या समेत कई विभागों में बड़े पैमाने पर छंटनी की गई है। इस सरकार ने काम के घंटे 12 करने की कोशिश की थी जिसे वर्कर्स फ्रंट ने न्यायालय में जाकर वापस कराया। यही हाल कोरोना में स्वास्थ्य व्यवस्था का रहा आइपीएफ की जनहित याचिका में हुए आदेश के बाद ही सरकार ने सरकारी व निजी अस्पतालों को खोला। योगी सरकार में प्रदेश में कानून का राज व लोकतंत्र खत्म है सरकार से असहमति व्यक्त करने वालों से राजनीतिक बदला लिया जा रहा है। हाईकोर्ट तक के आदेश भी इस सरकार के लिए कोई मायने मतलब नहीं रखते। इसलिए सरकार की जनविरोधी, दमनात्मक नीतियों के खिलाफ और इसके कार्यकाल की सच्चाई जनता को बताने के लिए आइपीएफ एक सप्ताह तक भंडाफोड़ संवाद अभियान चलायेगा। इसमें 22 मार्च को मिशन शक्ति दिवस पर कामकाजी महिलाएं विरोध दर्ज करायेंगी और 23 मार्च को भगत सिंह के शहादत दिवस पर युवा आक्रोश दिवस मनाया जायेगा। आइपीएफ के प्रतिनिधि सीतापुर, उन्नाव, बाराबंकी, वाराणसी समेत पूरे प्रदेश में तीनों काले कृषि कानूनों व एमएसपी पर कानून बनाने के लिए आयोजित हो रही किसान पंचायतों में हिस्सेदारी करेंगे।

संवाद कार्यक्रमों का लखीमपुर खीरी में आइपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, उपाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, एडवोकेट कमलेश सिंह, एडवोकेट पूजा पांडेय, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, सूरज कोल, श्रीकांत सिंह, रामदास गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, महावीर गोंड,़ आगरा में आइपीएफ महासचिव ई. दुर्गा प्रसाद, चंदौली में अजय राय, आलोक राजभर, डा. राम कुमार राय, गंगा चेरो, रामेश्वर प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह, इंजीनियर राम बहादुर पटेल, मऊ में बुनकर वाहनी के एकबाल अहमद अंसारी, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र, श्याम मनोहर जायसवाल,, वाराणसी में प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज पटेल, पीलीभीत में रेनू शर्मा, खुशबू, रायबरेली में साधना राय, गाजीपुर में नेहा राय, कौशम्भी में ज्ञाना यादव, औरइया से रामसखी, सुल्तानपुर सीमा, कासगंज से पार्वती आदि का नेतृत्व किया।

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