तौक़ीर सिद्दीक़ी

यूपी की राजधानी लखनऊ में भले ही लड़कियों को दौड़ने से योगी सरकार कामयाब रही मगर झाँसी की रानियों पर उनका बस नहीं चला और “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” मैराथन में खूब दौड़ लगाईं। देश की आधी आबादी को केंद्र बिंदु बनाकर यूपी में खोई हुई अपनी विरासत को पाने में जुटी कांग्रेस पार्टी ने एक ऐसी शुरुआत की है जिससे सभी विरोधी पार्टियां परेशान हैं.

झाँसी मैराथन में करीब 15 हज़ार लड़कियां आज “लड़की हूँ लड़ सकती हूँ” का नारा लगा रही थीं, प्रियंका गाँधी की तारीफ कर रही थीं, वह यह भी बात कर रही थीं कि कांग्रेस पार्टी ने लड़कियों की शक्ति को पहचाना। लड़कियों की मैराथन दौड़ पर लड़कियों का मानना है कि यह एक बहुत अच्छा अभियान जिसमें स्वास्थ्य भी है और सम्मान भी है।

वहीँ लखनऊ की मैराथन दौड़ रद्द होने से लड़कियों में काफी नाराज़गी है. आज सुबह 1090 चौराहे पर लखनऊ और प्रदेश के कई हिस्सों से पहुंची लड़कियों ने योगी सरकार पर सीधे सीधे लड़कियों के साथ भेदभाव का इलज़ाम लगाया। मैराथन रद्द होने से निराश इन लड़कियों का सरकार से सीधा और चुभता हुआ सवाल था कि योगी जी रात में गाज़ियाबाद में एक भीड़ भरा रोड कर सकते हैं लेकिन लड़कियों को दौड़ने से रोक रहे हैं. उन्हें लड़कियों के मैराथन से कोरोना फैलने का खतरा महसूस होता है लेकिन क्या उनका चुनावी रोड शो कोरोना प्रूफ है.

इससे पहले शनिवार की रात में लखनऊ की मैराथन रद्द करने पर प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ममता चौधरी के नेतृत्व में लखनऊ कमिश्नर का घेराव किया। ममता चौधरी ने भी सीधा सवाल किया कि एक स्टेडियम में एक सरकारी आयोजन में लाखों का जमावड़ा आज ही हुआ है लेकिन महिलाओं से डरी हुई योगी सरकार को महिलाओं के दौड़ने से भी डर लगता है. ममता चौधरी ने सीएम योगी को आगाह करते हुए कहा कि योगी जी, ये जागरूक बेटियां ही इस तानाशाही का अंत करेंगी। ये बेटियां ही आपका हिसाब पूरा करेंगी।

बहरहाल कांग्रेस पार्टी जिस तरह महिलाओं को लेकर लगातार आगे बढ़ रही है उससे योगी सरकार में थोड़ा खौफ तो है क्यों भाजपा को सफलता के शिखर पर पहुँचाने का देश की इसी आधी आबादी का प्रमुख हाथ रहा है. लखनऊ में लगभग 40 हज़ार लड़कियों ने कांग्रेस पार्टी की मैराथन में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. मुख्यमंत्री योगी हरगिज़ नहीं चाहते थे कि राजधानी से पूरे प्रदेश में यह सन्देश जाय कि लड़कियां उनसे लड़ने को तैयार हैं. भाजपा को अच्छी तरह मालूम है कि अगर यह वोट बैंक खिसक गया तो ज़ात-पात, धर्म-सम्प्रदाय की राजनीति भी उसका बेड़ा पार नहीं लगा पाएगी।

लड़की हूँ लड़ सकती हूँ अब एक ऐसा नारा बनता जा रहा है जो धीरे धीरे महिला बिरादरी की ज़बान पर चढ़ता जा रहा है. महिला बिरादरी इसलिए कि जब यह किसी की तरफ झुकती है ज़ात पात, धर्म संप्रदाय सबकुछ भूल जाती है, इसलिए जिसने महिला शक्ति को पहचान लिया और उनको पहचान और सम्मान देने के लिए जो भी खड़ा हुआ, महिलाएं भी उसको मज़बूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़तीं हैं. मरहूम इंदिरा गाँधी ने हमेशा महिला शक्ति को पहचाना और महिलाऐं भी हमेशा उनके पीछे खड़ी नज़र आईं. अब बारी उनकी पोती की है…