टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने पर विचार कर रही है. राज्य सरकार ने यह बात आशीष की जमानत के खिलाफ दायर एक याचिका के जवाब में कही है. यूपी सरकार ने इस आरोप का भी खंडन किया है कि उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आशीष की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था.

16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार सभी गवाहों को सुरक्षा दे. कोर्ट ने यह निर्देश इस आरोप के बाद दिया था कि राज्य सरकार गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे रही है. इसी वजह से आशीष के ज़मानत पर बाहर आने के बाद एक गवाह पर हमला हुआ है. राज्य सरकार ने इसे गलत बताते हुए कहा कि उसने 98 गवाहों को सुरक्षा दी है. जिस एक गवाह पर हमले की बात कही जा रही है, वह होली का रंग डालने से जुड़े विवाद में 2 पक्षों के बीच मारपीट का मामला है.

पिछले साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. इससे कुछ किसानों की मृत्यु हो गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट में उठा. कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष उर्फ मोनू को गिरफ्तार किया. इस साल 10 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

मारे गए किसानों के परिवार ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और वकील प्रशांत भूषण के ज़रिए आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में रखी है. यह कहा है कि हाई कोर्ट ने ज़मानत देते समय अपराध की गंभीरता पर ध्यान नहीं दिया. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करनी चाहिए थी. पर उसने भी ऐसा नहीं किया. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा. उससे पहले यूपी सरकार ने जवाब दाखिल कर सभी आरोपों को गलत बताया है.