लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आज कहा कि योगी सरकार ने डॉ कफील को जमानत पर रिहा न करके सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश की अवमानना की है जिसमें उसने कोरोना महामारी को देखते हुए सात साल से कम की सजा वाले मुकदमों में जमानत देने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में 13 बार सुनवाई की तारीख का टलना साबित करता है कि मुख्यमंत्री एक योग्य डॉक्टर को अपनी व्यक्तिगत कुंठा के कारण कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी जेल में रख कर आम मरीजों के साथ अन्याय करने पर अड़े हैं। जबकि आज प्रदेश डॉक्टरों की भयानक कमी से जूझ रहा है ।

नसीमुद्दीन ने कहा कि योगी सरकार ने डॉ कफील से व्यक्तिगत रंजिश के तहत उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया है क्योंकि उन्होंने गोरखपुर सरकारी अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसी तरह उनपर अलीगढ़ में भी कथित भड़काऊ बयान देने का फर्जी मुकदमा लादा गया और एनएसए लगा दिया गया।

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था कि अपराधी जेल में होंगे लेकिन उन्होंने अपने ऊपर लगे संगीन मुकदमों को हटा कर खुद को जेल जाने से बचा लिया और कफील जैसे निर्दोष को जेल में डाल दिया, जिससे उनकी कथनी और करनी का फर्क उजागर हो जाता है। उन्होने मांग की है कि डा. कफील पर लगाये गये रासुका को हटाते हुए उन्हें अविलम्ब रिहा किया जाए।

भारत गन्दगी छोड़ो अभियान पर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक पूरे देश में गन्दगी फैलाने वाले सत्ता से बाहर नहीं किये जायेंगे तब तक गन्दगी से छुटकारा नहीं मिलेगा|

प्रदेश में बढ़ते एनकाउंटर पर पूछे गए सवाल के जवाब में नसीमुद्दीन ने कहा, एनकाउंटर तो रोज़ाना हो रहे हैं, इसमें कितने फ़र्ज़ी हैं कितने सही यह जांच का विषय है|