कारोबार

गुजरात में नहीं मिल रहे मज़दूर, खुलते ही बंद होने लगे कारखानें

अहमदाबादः कोरोना वायरस के फैले प्रकोप को कम करने के लिए देश को लॉकडाउन करना पड़ा। इस दौरान लाखों की संख्या में शहरों से प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया। लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद बंद पड़े कारखानों को दोबारा खोला गया। हालांकि वो फिर से बंद हो गए हैं फैक्ट्रियां मजदूरों की कमी का सामना कर रही हैं।

मजदूरों की कमी
लॉकडाउन के बाद सूरत के डायमंड नगर में 15 पावरलूम कारखाने मजदूरों की कमी के कारण पिछले दो दिनों से बंद पड़े हैं। लस्काना क्षेत्र में लगभग 1200 पावरलूम कारखाने हैं। यहां अधिकतर मजदूर ओडिशा से काम करने आते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान कपड़ा और डायमंड इंडस्ट्री में काम करने वाले 12 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस चले गए हैं।

15 प्रतिशत कारखानों में शुरू हुआ काम
रिपोर्ट के मुताबिक, लस्काना डायमंड नगर इंडस्ट्रियल एस्टेट के उपाध्यक्ष हरिभाई कठेरिया ने कहा, ‘पहले अनलॉक के बाद लगभग 15 प्रतिशत कारखानों ने काम करना शुरू कर दिया। कारखाने सुबह 8 से शाम 7 बजे तक चल रहे थे। पिछले कुछ दिनों में मजदूरों की कमी के कारण 15 कारखाने को बंद करने पड़े हैं।’

35 से घटकर 6 रह गए मज़दूर
एक कपड़ा फैक्ट्री के मालिक चेतन रमानी, जिन्हें श्रमिकों की कमी के कारण बुधवार को अपनी फैक्ट्री बंद करनी पड़ी है उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन से पहले मेरे कारखाने में 35 मजदूर काम कर रहे थे। एक मजदूर छह मशीनों को संभाल सकता है, जबकि कुछ कपड़े की गुणवत्ता के आधार पर आठ को भी संभाल सकता है। जब 23 मई को कारखाना फिर से खुला, मेरे पास केवल चार मजदूर बचे थे। उन्होंने लगभग 35 लूम मशीनों की देखभाल की। अब वे भी ओडिशा लौट गए हैं इसलिए मुझे कारखाना बंद करना पड़ा।’

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