लखनऊ
लंबे समय से ऐसा माना जाता रहा है कि महिला और पुरुष दोनों में ही हृदय स्वास्थ्य एक जैसा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की एक हाल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह साइलेंट किलर देशभर में लगभग 18% महिलाओं की मौत का कारण बन रहा है।

एऑर्टिक स्टेनोसिस में महाधमनी वॉल्व, समय के साथ कैल्शियम के जमा होने से संकरी हो जाती है। यह हृदय के वॉल्व का एक सामान्य रोग है जो खासतौर से वृद्धजनों को प्रभावित करता है।

डॉ. रूपाली खन्ना, एडिशनल प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी विभाग, एसजीपीजीआईएमएस लखनऊ का कहना है, “यह बेहद गंभीर है कि एऑर्टिक स्टेनोसिस से पीड़ित महिलाओं की मृत्यु दर पुरुषों के मुकाबले अधिक होती है, जबकि उम्र भी एक ही होती है। ऐसा पाया गया है कि लंबे समय तक दबाव के बाद पुरुषों और महिलाओं में हृदय अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। महिलाओं में जहां बायां वेंट्रिकल छोटा, मोटा हो जाता है, वहीं पुरुषों का वेंट्रिकल ज्यादा फाइब्रोसिस (टिशूज में सूजन या जख्म होना) के साथ बड़ा और असामान्य रूप से फैल जाता है।’’

एऑर्टिक स्टेनोसिस का सही उपचार अलग-अलग लोगों के कारणों के आधार पर भिन्न हो सकता है, जिसमें जेंडर भी शामिल है। पारंपरिक सर्जरी के साथ महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | यहीं यदि, मिनिमली इनवेसिव ट्रांसकैथेटर प्रक्रियाओं इस्तेमाल किया जाए, तो महिलौं को ज्यादा लाभ मिल सकता है।

डॉ. खन्ना आगे कहती हैं, “सभी रोगियों में समय पर बीमारी का पता लगने से उपचार से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इसमें एऑर्टिक स्टेनोसिस के लक्षणों को लेकर सतर्क रहना, खासकर महिलाओं के असामान्य लक्षणों को लेकर, जैसे थकान होना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही उच्च जोखिम वाली महिलाओं में टीएवीआर जैसे उपचार विकल्पों के महत्व को पहचानना भी शामिल है।’’

एऑर्टिक स्टेनोसिस के गंभीर मामलों में पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी (एसएवीआर) एक मानक उपचार का तरीका रहा है। हालांकि, तकनीकी उन्नति की वजह से कम से कम चीरे वाली तकनीक टीएवीआर (ट्रांसकैथेटर एरोटिक वॉल्व रिप्लेसमेंट) जैसे विकल्प सामने आए हैं। टीएवीआर खासतौर से वृद्धजनों या उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए फायदेमंद हैं। इसमें कम से कम चीरा लगने, जल्दी रिकवर होने, अस्पताल में कम समय के लिए रुकना और रोजमर्रा के कामों पर जल्दी वापस लौट आने जैसे फायदे शामिल होते हैं।