नयी दिल्ली। कोरानावायरस के कारण भारत की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई है। लॉकडाउन 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। मगर खराब आर्थिक हालात को देखते हुए सरकार ने इसमें कई ढील दी हैं। बावजूद इसके वैश्विक रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि भारत अपनी सबसे बड़ी मंदी के दौर से गुजरेगा। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी में 45 फीसदी की गिरावट आएगी, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी में 5 फीसदी की गिरावट आएगी। पहले इसने अप्रैल-जून तिमाही में 20 फीसदी की गिरावट और वित्त वर्ष में 2020-21 में भारत की विकास दर 0.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। गोल्डमैन सैक्स ने इसके बाद आने वाली तिमाहियों में थोड़े सुधार का अनुमान लगाया है।

रेटिंग एजेंसी ने दुनिया की आर्थिक ग्रोथ के लिए अनुमान -2.5 फीसदी से बदल कर -.3.6 फीसदी कर दिया है। भारत के मामले में इसने कहा है कि देश में कोरोवायरस का फैलना जारी है। लॉकडाउन जारी है और प्रधानमंत्री ने घोषणा कर दी है कि इसे धीरे-धीरे प्रतिबंधों में ढील के साथ बढ़ाया जाएगा। उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच चिंता बरकरार है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मार्च और अप्रैल के कमजोर आंकड़ों का हमारे जून तिमाही के पूर्वानुमानों में काफई असर है। गर्त मार्च और अप्रैल के लिए अब तक मिले आर्थिक आंकड़े बेहद खराब रहे हैं।

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था, जिसे जीडीपी के 10 फीसदी के बराबर बताया गया। मगर गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि पैकेज की राजकोषीय सहायता के डिस्क्रेशनरी घटक जीडीपी के सिर्फ 1.3 फीसदी है। बता दें कि अर्थव्यवस्था को गति देने और विकास दर को पटरी पर लाने के लिए पीएम मोदी ने भारत के अब तक के सबसे बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया था, जिस पर वित्त मंत्री ने लगातार 5 दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी दी।