अशोक भाटिया

अयोध्या में भूमि पूजन पर कांग्रेस की तरफ से मुख्य तौर पर तीन तरह की बातें सामने आयीं. एक कमलनाथ का भगवाधारी होकर राम मंदिर निर्माण के श्रेय में राजीव गांधी के नाम पर हिस्सेदारी बताना| दो, प्रियंका गांधी का ‘सबमें राम, सबके राम’ बोल कर अयोध्या से कनेक्ट होने की कोशिश करना और तीन, राहुल गांधी का राम का नाम लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘प्रेम, करुणा और न्याय’ पर नसीहत देना| खैर कांग्रेस को ये सब करने की जरूरत क्यों पड़ती है? आखिर कांग्रेस को ये क्यों नहीं समझ आता कि ये सब करने के बाद भी पार्टी से निराश और नाराज लोगों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ने वाला| आखिर कांग्रेस क्यों कभी कभार खुद को बीजेपी जैसी पेश करने की कोशिश करती है? अगर सोनिया गांधी ये समझ चुकी हैं कि कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी साबित कर दिया गया है, तो पार्टी को कट्टर हिंदुत्व की रेस में झोंकने की जरूरत ही क्यों लगती है?

जब लोगों के मन में ये धारणा मजबूती से बस चुकी हो कि कट्टर हिंदुत्व समर्थक बीजेपी ही अकेली पार्टी है, तो कांग्रेस को उसकी बगल में खड़ा होकर खुद भी उसके जैसा दिखाने की जरूरत क्यों पड़ती है? असल बात तो ये है कि कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या हिंदुत्व की राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की राजनीति से मुकाबला है – और कांग्रेस नेतृत्व इस मामले में बार बार चूक जाता है| 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व से जो गलतियां हुईं, वे आज भी रुक नहीं रही हैं| पुलवामा हमले के चलते नयी नयी कांग्रेस महासचिव बनी प्रियंका गांधी बीच में ही कार्यक्रम छोड़ कर लखनऊ से दिल्ली लौट गयी थीं और राहुल गांधी भी कुछ दिनों तक मोदी सरकार पर सवाल उठाने से परहेज करते रहे | तभी विपक्षी नेताओं की एक मीटिंग हुई और ममता बनर्जी के दबाव में राहुल गांधी को मीडिया के सामने आकर संयुक्त विपक्ष का बयान पढ़ना पड़ा| जरा भी देर नहीं लगी और बीजेपी की तरफ से बताया जाने लगा कि कांग्रेस की अगवाई में विपक्ष देश विरोधी हरकतें करने लगा है जिस पर पाकिस्तान में बहस हो रही है|

हिन्दुत्व की राजनीति में कांग्रेस नेताओं के कूद पड़ने के बाद केरल से दो टिप्पणियां आयी हैं| एक तो केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन की है और दूसरी कांग्रेस के भीतर से ही. केरल से कांग्रेस के लोक सभा सांसद टीएन प्रतापन ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर कांग्रेस के ताजा रूख पर सवाल उठाया है. टीएन प्रतापन की सलाह है कि कांग्रेस को अति धार्मिक राष्ट्रवाद के पीछे भागने की जरूरत नहीं होनी चाहिये क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा भारत को महान देश बनाने में बहुलतावादी विरासत को संजोकर रखने का काम किया है| राम तो सबके है पर जब से अयोध्या में श्री नरेन्द्र मोदी जी के हाथो भूमिपूजन हुआ है तब से कांग्रेस में घमासान लगा हुआ है | जब सबके सबके राम फिर क्यों संग्राम ? आज तक काग्रेस के द्वारा राम मंदिर का विरोध होता रहा अब पाला बदलने की क्या जरुरत ?

अशोक भाटिया, A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208)