खाद्य और मैन्युफैक्चर्ड आइटम्स महंगे होने से अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (WPI) बढ़कर 0.16 फीसदी पर पहुंच गई. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गई है. इससे पहले पिछले लगातार 4 महीनों तक थोक महंगाई नकारात्मक दायरे यानी शून्य से नीचे रही थी. अप्रैल में यह -1.57 फीसदी, मई में -3.37 फीसदी, जून में -1.81 फीसदी और जुलाई में -0.58 फीसदी रही थी.
बयान में कहा गया है कि अगस्त 2020 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.16 फीसदी (अस्थायी) रही है. अगस्त 2019 में यह 1.17 फीसदी थी. अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.84 फीसदी रही. इस दौरान आलू के दाम 82.93 फीसदी बढ़े. सब्जियों की मुद्रास्फीति 7.03 फीसदी रही. इस दौरान प्याज हालांकि 34.48 फीसदी सस्ता हुआ.
समीक्षाधीन महीने में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 9.68 फीसदी रह गई. इससे पिछले महीने यानी जुलाई में यह 9.84 फीसदी थी. हालांकि, इस दौरान मैन्युफैक्चर्ड आइटम्स की मुद्रास्फीति बढ़कर 1.27 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 0.51 फीसदी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम की वजह से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. आरबीआई ने अक्टूबर-मार्च अवधि में महंगाई का रुख नरम रहने का अनुमान दिया है.
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