नई दिल्ली: न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी की याचिका खारिज करते हुए उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, “यह पूरी तरह से अगम्भीर रिट याचिका है।”

जब मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नरीमन ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता याचिका के बारे में गम्भीर हैं। उन्होंने कहा, “क्या आप याचिका की सुनवाई के लिए जोर दे रहे हैं? क्या आप वाकई गम्भीर हैं?”

श्री रिज़वी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर के रायजादा ने जवाब दिया कि वह अपनी अर्जी मदरसा शिक्षा के नियमन तक सीमित कर रहे हैं। उसके बाद उन्होंने अपने मुवक्किल का पक्ष रखा, जिससे खंडपीठ संतुष्ट नजर नहीं आयी और उसने याचिका को 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।

दरअसल वसीम रिजवी की याचिका में कहा गया था कि इन आयतों में इंसानियत के मूल सिद्धांतों की अवहेलना है और ये धर्म के नाम पर नफरत, घृणा, हत्या, खून खराबा फैलाने वाला हैं, इसके साथ ही ये आयतें आतंक को बढ़ावा देने वाला है।

श्री रिजवी का कहना था कि मदरसों में बच्चों को कुरान की इन आयतों को पढ़ाया जा रहा है, जिससे उनका ज़हन कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है, याचिका में कहा गया था कि कुरान की इन 26 आयतों में हिंसा की शिक्षा दी गई है और कोई भी ऐसी तालीम जो आतंकवाद को बढ़ावा देती है, उसे रोका जाना चाहिए।