तौक़ीर सिद्दीक़ी

BCCI और विराट कोहली के बीच रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं यह तो सभी क्रिकेट फैंस को मालूम था लेकिन कोहली अचानक इतना बड़ा कदम उठा लेंगे यह शायद किसी को भी नहीं मालूम था, शायद बोर्ड को भी नहीं। विराट कोहली ने टेस्ट मैचों की कप्तानी छोड़ने का एलान कर टीम इंडिया के साथ फैंस को भी एक बड़ा झटका दिया है.

कोहली सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने संदेश में लिखा कि पिछले सात साल से लगातार कड़ी मेहनत और हर रोज टीम को सही दिशा में पहुंचाने की कोशिश रही. मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया और कोई भी कसर नहीं छोड़ी. लेकिन हर सफर का एक अंत होता है, मेरे लिए टेस्ट की कप्तानी को खत्म करने का यही सही वक्त है.

विराट कोहली ने आगे लिखा कि इस सफर में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं, लेकिन कोशिश में किसी ने भी कोई भी कसर नहीं छोड़ी है. मैंने हमेशा अपना 120 फीसदी देने की कोशिश की है, अगर मैं कुछ नहीं कर सकता हूं तो मैं समझता हूं कि मेरे लिए वह चीज़ सही नहीं है.

विराट कोहली ने लिखा कि वह इस फैसले को लेकर पूरी तरह से पक्के हैं और वह अपनी टीम से कोई धोखा नहीं कर सकते हैं. विराट कोहली ने अपने इस संदेश में बीसीसीआई का शुक्रिया किया, साथ ही रवि शास्त्री और बाकी सपोर्ट स्टाफ का भी आभार जताया.

विराट ने 2014/15 में एमएस धोनी से कप्तानी संभाली थी। 2016 में भारत ने वेस्ट इंडीज को हराया। भारतीय टीम ने सीजन के दौरान सभी 4 सीरीज जीती। उनकी एकमात्र हार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे में हुई थी। 2017/18 सीजन में, भारत ने श्रीलंका से बैक-टू-बैक सीरीज़ जीतीं । 2018 में भारत इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका से सीरीज हार गया था।

कोहली ने 2018/19 में जोरदार वापसी की और ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले एशियाई कप्तान बने। अगले एक साल के लिए, भारत ने जीत की लय जारी रखी और वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश को हराया। उनके विजयी रन को न्यूजीलैंड ने रोक दिया, जिन्होंने घर पर टेस्ट सीरीज 2-0 से जीती।

एक साल बाद कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ 3-1 से जीत दर्ज की। भारत ने घर से दूर भी इंग्लैंड पर अपना दबदबा कायम रखा और इंग्लैंड के खिलाफ 3-1 की बढ़त के साथ वापसी की। टेस्ट के रूप में भारत की आखिरी सीरीज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ थी जिसमें भारतीय टीम हार गई थी।

SA और NZ को छोड़कर भारत ने कोहली के नेतृत्व में हर देश में सीरीज जीती। विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना टूटने का दोष टीम की खराब बल्लेबाजी को देते हुए शुक्रवार को कहा था कि वह इसके अलावा कोई और बड़ी वजह नहीं देख रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका की टीम के सामने तीसरा और अंतिम टेस्ट जीतने के लिये 212 रनों का लक्ष्य था जो उसने तीन विकेट खोकर हासिल करने के साथ ही सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली।

कोहली का टेस्ट क्रिकेट में कप्तानी कैरियर बहुत विराट है. 68 मैचों में 40 सफलताएं। भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान। दरअसल पिछले दो सालों से विराट कोहली के बल्ले से उतने रन नहीं निकल रहे हैं जितने आमतौर पर लोग उनसे अपेक्षा रखते हैं. उनके बल्ले से शतक निकले हुए भी लम्बा अर्सा हो चूका है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह असफल हैं. अगर असफलता की बात करें तो चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे विराट से कहीं ज़्यादा नाकाम हैं।

दरअसल विराट ने जब टी-20 की कप्तानी छोड़ने की बात कही तबसे बोर्ड उनसे खुन्नस खाये हुए है, मौका मिलते ही उन्हें वनडे की कप्तानी से भी हटा दिया। वह भी विराट को जानकारी दिए बिना। इस बात पर काफी विवाद भी हुआ, बोर्ड ने इसका ठीकरा सेलेक्टर्स पर डाल दिया। अब यह तो सभी जानते हैं कि BCCI में सेलेक्टर्स की कितनी हैसियत होती हैं ? क्या वह इतना बड़ा फैसला बोर्ड के आला अधिकारियों की सहमति के बिना कर सकती है.

बहरहाल बोर्ड से रिश्तों में टकराव का नतीजा टेस्ट कप्तानी छोड़ने के रूप में निकला। BCCI ने विराट के इस फैसले पर बड़ी ठंडी प्रतिक्रिया दी और उनके ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि BCCI उनकी लीडरशिप और टीम को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उन्हें मुबारकबाद देता है. उन्होंने 68 टेस्ट में टीम की कप्तानी की और 40 में जीत हासिल कर सबसे सफल कप्तान बने.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विराट कोहली कप्तानी छोड़ने के बाद टीम इंडिया से जुड़े रहेंगे और कितने दिनों तक. विराट का जो स्वाभाव है वह राज करने वाला है, टीम के साथ आगे बने रहना उनके स्वाभाव से कतई मेल नहीं खाता। वैसे भी इतिहास रहा है कि लम्बे समय तक कप्तान रहने वाला बाद में लम्बे समय तक खिलाड़ी नहीं रहता। देखना है कि विराट उस परंपरा को बरक़रार रखेंगे या फिर कोई नई इबारत लिखेंगे। वैसे विराट में अभी बहुत क्रिकेट बाक़ी है.